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बंसोड कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इन्‍सटीलट्यूट छिन्‍दवाड़ा प्रवेश प्रांरभ (CPCT, DCA, PGDCA & TALLY)

created Jan 31st 2023, 10:38 by Ashu Soni


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माननीय विचारण न्‍यायालय द्वारा जो अभियुक्‍त के विरुद्ध दोषसिद्धि के संबंध में विवेचना की गई है वह सही नहीं है। परिवादी के द्वारा अभियुक्‍त के विरुद्ध एक निर्णय प्रदर्श 14 प्रदर्शित कराया गया था जिसमें अभियुक्‍त को 02 वर्ष के सश्रम कारावास एवं प्रतिकर से दंडित किया गया था जिसकी पुष्टि अभियुक्‍त के द्वारा प्रस्‍तुत धारा 410 दंड प्रक्रिया संहिता के आवेदन से होती है। अभियुक्‍त ने अपने प्रतिपरीक्षण के पैरा 11 12 में भी प्रदर्श 14 के निर्णय के संबंध में स्‍वीकारोक्ति दी थी जो परिवादी ने विचारण न्‍यायालय के लिखित तर्क के पैरा क्रमांक 07 में अभिवचन किए थे। अभियुक्‍त के विरुद्ध एक अन्‍य प्रकरण भी विचाराधीन है। विचारण न्‍यायालय द्वारा परिवादी के द्वारा प्रस्‍तुत अभियुक्‍त के विरुद्ध दोषसिद्धि के तथ्‍यों को अनदेखा किया गया है। अभियुक्‍त दो वर्ष के कारावास एवं उचित प्रतिकर से दंडित किए जाने योग्‍य है। ऐसी स्थिति में विचारण न्‍यायालय द्वारा पारित आदेश संशोधित किए जाने योग्‍य है। हमारे जीवन में जल ही जीवन है जल के बिना जीवन की परिकल्‍पना भी संभव नहीं है। जल जीवन का सबसे महत्‍वपूर्ण घटक है। जल प्रकृति के सबसे महत्‍वपूर्ण संसाधनों में से एक है। पृथ्‍वी जल के चारों ओर से घिरी है लेकिन मात्र दो प्रतिशत पानी ही प्राकृतिक स्‍त्रोतों नदी, तालाब और कुंओं से मिलता है जबकि शेष भूजल के रूप में है 98 प्रतिशत जल भंडारण तो समुद्र में है लेकिन यह भी एक यथार्थ है कि भारत जल संकट वाले देशों की सूची में सबसे आगे खड़ा है। जल के इसी महत्‍व को ध्‍यान में रखते हुए 2012 से सप्‍ताह भर तक प्रतिवर्ष विचार-विमर्श किया जाता है। जिसे सरकार ने भारत जल सप्‍ताह नाम दिया है। इसके आयोजन की जिम्‍मेदारी जल संसाधन मंत्रालय को सौंपी गई है इसकी परिकल्‍पना भी इसी मंत्रालय ने की थी विचारण न्‍यायालय द्वारा अपने निर्णय के पैरा 28 में धारा 360 दंड प्रक्रिया संहिता के प्रावधान अनुसार दस हजार रूपये की राशि दिलाए जाने का निर्णय पारित किया गया है जो विधिसम्‍मत नहीं है क्‍योंकि परिवादी ने दस लाख रूपये के चैक पर 36 हजार रूपये का न्‍याय शुल्‍क का भुगतान किया था और प्रकरण के विचारण के दौरान परिवादी के द्वारा टिकिट, टाइमिंग, अधिवक्‍तता शुल्‍क आदि की राशियां व्‍यय की गई है किंतु विचारण न्‍यायालय द्वारा व्‍यय राशि के संबंध में दस हजार रूपये दिलाए जाने के आदेश दिए गए हैं जो विधि सम्‍मत नहीं हैं। इसलिए उक्‍त राशि को 02 लाख रूपये कर विचारण न्‍यायालय के आदेश को संशोधित किया जाए।  

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