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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Nov 24th 2022, 08:41 by rajni shrivatri
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असम और मेघालय के बीच सीमा विवाद का समाधान लम्बे समय बाद भी नहीं खोजा जा सका है। दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद में फिर छह लोगों की जान चली गई। यह पहली बार नहीं है जब पूर्वोत्तर राज्यों में सीमा विवाद ने हिंसक रूप धारण किया है। चिंता की बात यही है कि अंतरराज्यीय सीमा विवाद के समाधान के लिए दोनों राज्यों के बीच हुए समझौते के बावजूद इस तरह का घटनाक्रम हुआ है। समझौते के वक्त दोनों पक्षों की ओर से दावा किया गया था कि पचास साल पुराना सीमा विवाद अब खत्म हो गया है। ताजा हालात से ऐसा लग नहीं रहा।
ज्यादा पुरानी बात नहीं है जब असम मिजोरम के सुरक्षा बलों के बीच हुई झड़प में 6 जानें चली गई थी। तब दोनों राज्यों ने भी सीमा विवाद सुलझाने के लिए कमेटियों का गठन किया था। देखा जाए तो राज्यों के बीच आपसी सीमा विवाद का मर्ज पुराना है। इन विवादों ने हिंसक रूप भी देखे है। कई बार इन्हें सुलझाने की कोशिश भी हुई पर बाद में ये प्रयास नाकाम होते दिखे है। एक तथ्य यह भी है कि पहाड़ी व दुर्गम इलाकों में सीमांकन का काम काफी मुश्किल भरा होता है। ऐसे में आए दिन राज्यों के बीच सीमा विवाद होता रहता है। ये विवाद न केवल राज्यों के बीच समस्याएं पैदा करते है, बल्कि उनके विकास में भी बाधक है। पिछले साल दिसंबर में केंद्र सरकार ने संसद में बताया था कि देश में कुल आठ ऐसे मामले हैं, जहां पर सीमाओं और जमीन पर दावों के कारण राज्यों के बीच विवाद है। ये आंध्र-ओडिशा, महाराष्ट्र कर्नाटक, हरियाणा हिमाचल, लद्दाख-हिमाचल, असम-अरूणाचल, असम नगालैंड असम मेघालय और असम मिजोरम से जुडे है। जाहिर तौर पर ज्यादातर सीमा विवाद पूर्वोत्तर राज्यों में असम से संबंधित है। सीमा विवाद के कारण राज्यों में आपसी मनमुटाव और खटास पैदा होना स्वाभाविक है। राज्यों के बीच आपसी सौहार्द बनाने के लिए सीमा विवाद का प्रभावी समाधान करना जरूरी है, क्योंकि जितना लंबा विवाद चलेगा, उतना ही नुकसानदेह होता जाएगा।
यह बात सही है कि पूर्वोत्तर राज्यों से जुड़े सीमा विवाद के कई मामलों का स्थायी समाधान भी हुआ है। केन्द्र सरकार ने इस दिशा में पहल कर राज्यों को ऐसे विवादों को खत्म करने के लिए राजी भी किया है। इसके बावजूद जहां विवाद बने हुए है वहां राज्यों को एक जाजम पर बैठ कर विवाद के कारणों की तरह में भी जाना होगा। उम्मीद की जानी चााहिएकि असम-मेघालय के बीच सीमा विवा को हल करने की दिशा में भी तेजी आएगी।
ज्यादा पुरानी बात नहीं है जब असम मिजोरम के सुरक्षा बलों के बीच हुई झड़प में 6 जानें चली गई थी। तब दोनों राज्यों ने भी सीमा विवाद सुलझाने के लिए कमेटियों का गठन किया था। देखा जाए तो राज्यों के बीच आपसी सीमा विवाद का मर्ज पुराना है। इन विवादों ने हिंसक रूप भी देखे है। कई बार इन्हें सुलझाने की कोशिश भी हुई पर बाद में ये प्रयास नाकाम होते दिखे है। एक तथ्य यह भी है कि पहाड़ी व दुर्गम इलाकों में सीमांकन का काम काफी मुश्किल भरा होता है। ऐसे में आए दिन राज्यों के बीच सीमा विवाद होता रहता है। ये विवाद न केवल राज्यों के बीच समस्याएं पैदा करते है, बल्कि उनके विकास में भी बाधक है। पिछले साल दिसंबर में केंद्र सरकार ने संसद में बताया था कि देश में कुल आठ ऐसे मामले हैं, जहां पर सीमाओं और जमीन पर दावों के कारण राज्यों के बीच विवाद है। ये आंध्र-ओडिशा, महाराष्ट्र कर्नाटक, हरियाणा हिमाचल, लद्दाख-हिमाचल, असम-अरूणाचल, असम नगालैंड असम मेघालय और असम मिजोरम से जुडे है। जाहिर तौर पर ज्यादातर सीमा विवाद पूर्वोत्तर राज्यों में असम से संबंधित है। सीमा विवाद के कारण राज्यों में आपसी मनमुटाव और खटास पैदा होना स्वाभाविक है। राज्यों के बीच आपसी सौहार्द बनाने के लिए सीमा विवाद का प्रभावी समाधान करना जरूरी है, क्योंकि जितना लंबा विवाद चलेगा, उतना ही नुकसानदेह होता जाएगा।
यह बात सही है कि पूर्वोत्तर राज्यों से जुड़े सीमा विवाद के कई मामलों का स्थायी समाधान भी हुआ है। केन्द्र सरकार ने इस दिशा में पहल कर राज्यों को ऐसे विवादों को खत्म करने के लिए राजी भी किया है। इसके बावजूद जहां विवाद बने हुए है वहां राज्यों को एक जाजम पर बैठ कर विवाद के कारणों की तरह में भी जाना होगा। उम्मीद की जानी चााहिएकि असम-मेघालय के बीच सीमा विवा को हल करने की दिशा में भी तेजी आएगी।
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