eng
competition

Text Practice Mode

SHREE BAGESHWAR ACADEMY TIKAMGARH (M.P.) **PATWARI** टेस्‍ट सीरीज के लिए संपर्क करें Contact- 8103237478

created Nov 24th 2022, 03:25 by Shreebageshwar Academy


1


Rating

336 words
22 completed
00:00
समाज में प्रचलित परंपराओं और रीतियों में अगर कभी कोई खास पहलू किसी पक्ष के लिए अन्‍याय का वाहक होता है, तो उसके निवारण के लिए व्‍यवस्‍थागत इंतजाम किए जाते हैं। मगर ऐसे मौके अक्‍सर आते रहते हैं, जब परंपराओं और कानूनों के बीच विवाद की स्थिति पैदा हो जाती है। नाबालिग बच्‍चों को उनके खिलाफ यौन अपराधों और शोषण से सुरक्षा देने के लिए पाक्‍सो कानून बनाया गया। जाहिर है कि बच्‍चे चाहे जिस भी धर्म के हों, उनके खिलाफ होने वाले अपराधाें को इसी के तहत देखना और बरतना एक स्‍वाभाविक कानूनी प्रक्रिया है। मगर कई बार सामुदायिक परंपराओं के लिहाज से भी इस प्रावधान की प्रासंगिकता को कसौटी पर रखने की कोशिश की जाती है। केरल उच्‍च न्‍यायालय ने एक मामले की सुनवाई के बाद इसी द्वंद्व पर स्‍पष्‍ट राय दी है, जिसमें किसी धर्म के तहत बनाए गए अलग नियम के मुकाबले पाक्‍सो कानून को न्‍याय का आधार बनाया गया है। अदालत की राय के मुताबिक, हालांकि मुसलिम पर्सनल ला में कानूनी तौर पर निर्धारित नाबालिगों की शादी भी मान्‍य है, इसके बावजूद पाक्‍सो कानून के तहत इसे अपराध माना जाएगा।  
    केरल हाई कोर्ट के ताजा फैसले को बेहद अहम माना जा रहा है, क्‍योंकि इसी तरह के मामलों में पहले तीन अन्‍य उच्‍च न्‍यायालयों ने अठारह साल से कम उम्र की लड़की की शादी के मामले को पर्सनल ला के तहत सही बता कर खारिज कर दिया था। पर केरल में एक सदस्‍यीय पीठ के सामने आए इस मामले में जांच के बाद एक अलग पहलू यह भी पाया गया कि नाबालिग लड़की के माता-पिता की जानकारी के बिना आरोपी ने उसे बहला-फुसला कर अगवा किया था। ऐसे में किसी भी धार्मिक कानून के दायरे में खुद भी इस पर विचार किया जाना चाहिए कि ऐसा विवाह कितना सही है। इसके अलावा, पाक्‍सो कानून की व्‍याख्‍या करते हुए अदालत ने साफ किया कि यह बाल विवाह और यौन शोषण के खिलाफ है और इस हिसाब से शादी होने के बाद भी किसी नाबालिग से शारीरिक संबंध बनाना कानूनी अपराध है।  

saving score / loading statistics ...