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created Sep 25th 2022, 10:57 by Shreebageshwar Academy


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अपनी संदिग्‍ध गतिविधियों के कारण एक लंबे समय से विभिन्‍न एजेंट के निशाने पर चल रहे संगठन पापुलर फ्रंट आफ इंडिया यानी पीएफआइ के ठिकानों पर देशव्‍यापी छापों के बाद यह तथ्‍य सामने आने पर हैरानी नहीं कि उसे विभिन्‍न देशों से अनुचित तरीके से जो चंदा मिल रहा था, उसका गलत इस्‍तेमाल किया जा रहा था। चिंता की बात केवल यह नहीं कि पीएफआइ विदेशी चंदे को स्‍थानीय चंदे के रूप में दर्शा रहा था, बल्कि यह भी है कि उसके तमाम सदस्‍य देशविरोधी गतिविधियों में शामिल दिख रहे थे। इसी कारण पिछले दिनों उसके सौ से अधिक सदस्‍यों को गिरफ्तार किया गया। यह संगठन कानून के शासन के साथ किस तरह शांति व्‍यवस्‍था के लिए खतर बन चुका है, इसका प्रमाण अपने यहां पड़े छापों के विरोध में केरल में बुलाए गए बंद के दौरान की गई उसके लोगों की हिंसा से मिलता है। इस हिंसा से एक तरह स्‍वत: प्रमाणित हो गया कि इस संगठन के इरादे नेक नहीं। इस संगठन पर आतंकी गतिविधियों में लिप्‍त होने के आरोप जाने कब से लग रहे हैं। इसी कारण कई राज्‍य उस पर पाबंदी लगाने की संस्‍तुति कर चुके हैं। पीएफआइ अपना उद्देश्‍य कुछ भी बताए, यह किसी से छिपा नहीं कि उसकी गतिविधियां उसे कठघरे में खड़ा करती हैं। एक तस्‍य यह भी है कि खुद केरल सरकार उच्‍च न्‍यायालय के समक्ष यह कह चुकी है कि पीएफआई प्रतिबंधित आतंकी संगठन सिमी का बदला हुआ रूप है।  
    पीएफआइ पर जैसी अराजक और आतंकी गतिविधियों के लिप्‍त होने के गंभीर आरोप लगे हैं, उन्‍हें देखते हुए उसे प्रतिबंधित करने पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए, क्‍योंकि वह लोकतांत्रिक तौर-तरीकों का सहारा लेकर लोकतंत्र को ही नष्‍ट करने का काम कर रहा है। पीएफआइ अपनी छात्र शाखा और राजनीतिक शाखा बनाकर जिस तरह देश के अधिकांश राज्‍यों में सक्रिय हो गया है, वह शुभ संकेत नहीं।  

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