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बंसोड क्‍म्‍प्‍यूटर टायपिंग इन्‍स्‍टीट्यूट छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 प्रवेश प्रारंभ (CPCT, DCA, PGDCA & TALLY) सीपीसीटी की सम्‍पूर्ण तैयारी करवायी जाती ।मो0नं0 8982805777

created Sep 24th 2022, 11:14 by Ashu Soni


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अभियोगी रविन्‍द्र को उपहति कारित करने का सामान्‍य आशय निर्मित किया जिसके अग्रशरण में अभियोगी को डंडे से मारपीट कर उपहति कारित की, आपस में मिलकर अभियोगी को घातक हथियार से उपहति कारित करने का सामान्‍य आशय निर्मित किया जिसके अग्रसरण में अभियोगी को घातक आयुध चाकु से मारकर उपहति कारित की। तथा अभियोगी को माता बहन की अश्‍लील गालियां सार्वजनिक स्‍थल या उसके समीप देकर अभियोगी को तथा सुनने वालों को क्षोभ कारित किया। प्रकरण में अभियुक्‍तगण की गिरफ्तारी निर्विवादित है। अभियोगी तथा अभियुक्‍तगण का पूर्व से परिचित होना भी निर्ववादित है। अभियोजन की कहानी संक्षेप में इस प्रकार है कि घटना दिनांक 21 अप्रैल 2008 को अभियोगी और अभियुक्‍तगण आए और अभियोगी को देखकर उसके साथ गाली देने लगे फिर अभियोगी ने कहा कि गाली क्‍यों देते हो तभी अभियुक्‍त हाथ में डंडा लेकर आया और अभियोगी को मारा फिर अभियोगी ने डंडा छीन लिया, उसी समय अभियुक्‍त ने पीछे से आकर अभियोगी की पीठ में कमर में जाकू से मारा, जिससे उसके सिर से खून निकला फिर अभियोजन साक्षी ने छुड़ाया फिर अभियोगी का भाई अभियोगी को इलाज हेतु कार से सरकारी अस्‍पताल उज्‍जैन ले गया जहां अभियोगी का इलाज हुआ। उक्‍त घटना की सूचना जिला चिकित्‍सालय उज्‍जैन से थाना उज्‍जैन को दी गई जिसे थाना उज्‍जैन में 283/31 पर पंजीबद्ध किया गया तथा घटना का क्षेत्राधिकार गौतमपुरा होने से थाना उज्‍जैन भेजा गया तथा उक्‍त संदेह के आधार पर थाना गौतमपुरा का अपराध क्रमांक 90/2008 पंजीबद्ध किया गया। विवेचना के दौरान घटना स्‍थल का मौका नक्‍शा बनाया गया, आहत का चिकित्‍सीय परीक्षण कराकर चिकित्‍सीय दस्‍तावेज प्राप्‍त किए गए, साक्षीगण के कथन लेखबद्ध किए गए। अभियुक्‍त को पकड़कर पंचनामा बनाया गया, जप्‍ती अनुसार जप्‍ती पंचनामे बनाए गए। तद्उपरान्‍त अभियोग पत्र न्‍यायालय में पेश किया गया। उक्‍त मामले में अभियोगी को अश्‍लील गालियां देकर उसे एवं सुनने वालों को क्षोभ कारित किया एवं अभियोगी को घटना कारित करने के आशय से अभियोगी को जान से मारने की धमकी देकर आपराधिक अभित्रास कारित किया। यह भी प्रमाणित नहीं हुआ है कि अभियुक्‍तगण ने प्रतिबंधित आकार-प्रकार का हथियार अपने आधिपत्‍य में रखा। फलस्‍वरूप अभियुक्‍तगण को धारा 294 एवं 506 भाग-2 भारतीय दण्‍ड संहिता तथा धारा 25 की उपधारा 2 आयुध अधिनियम के आरोप से दोषमुक्‍त कर प्रकरण से स्‍वतंत्र किया जाता है।

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