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साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा (म0प्र0) सीपीसीटी न्‍यू बैच प्रारंभ संचालक- लकी श्रीवात्री मो. नं. 9098909565

created Sep 22nd 2022, 12:43 by lovelesh shrivatri


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इस धारा के अधीन जिस अपराध के लिए अभियुक्‍त की दोषसिद्धि हुई है वह तीन वर्ष या अधिक कारावास के दंड से दंडनीय होना चाहिए परन्‍तु यह आवश्‍यक नहीं है कि वस्‍तुत: तीन या इससे अधिक वर्षो के कारावास से दंडित किया गया हो। जब कभी अभियोजन और अभियुक्‍त का साक्ष्‍य सुनने के पश्‍चात मजिस्‍ट्रेट की यह राय है कि अभियुक्‍त दोषी है और उसे उस प्रकार के दण्‍ड से भिन्‍न प्रकार का दण्‍ड या उस दण्‍ड से अधिक कठोर दण्‍ड, जो वह मजिस्‍ट्रेट देने के लिए सशक्‍त है, दिया जाना चाहिए अथवा द्वितीय वर्ग मजिस्‍ट्रेट के होते हुए उसकी यह राय है कि अभियुक्‍त से धारा 106 के अधीन बन्‍धपत्र निष्‍पादित करने की अपेक्षा की जानी चाहिए तब अपनी राय अभिलिखित कर सकता है और कार्यवाही तथा अभियुक्‍त को मुख्‍य न्‍यायकि मजिस्‍ट्रेट को, जिसके वह अधीनस्‍थ हो, भेज सकता है।  
जब एक से अधिक अभियुक्‍तों का विचारण एक साथ किया जा रहा है और मजिस्‍ट्रेट ऐसे अभियुक्‍तो में से किसी के बारे में उपधारा (1) के अधीन कार्यवाही करना आवश्‍यक समझाता है तब वह उन सभी अभियुक्‍तों को, जो उसकी राय में दोषी हैं, मुख्‍य न्‍यायिक मजिस्‍ट्रेट को भेज देगा। यदि मुख्‍य न्‍यायिक मजिस्‍ट्रेट जिसके पास कार्यवाही भेजी जाती है, ठीक समझता है तो पक्षकारों की परीक्षा कर सकता है और किसी साक्षी को, जो पहले ही मामले में साक्ष्‍य दे चुका है पुन: बुला सकता है और उसकी परीक्षा कर सकता है और कोई अतिरिक्‍त साक्ष्‍य मांग सकता है और ले सकता है और मामले में ऐसा निर्णय, दण्‍डादेश या आदेश देगा, जो वह ठीक समझता है और जो विधि के अनुसार है।  
इस धारा में उस दशा में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया का वर्णन है, जब मजिस्‍ट्रेट यह अनुभव करता है कि विचारणाधीन अभियुक्‍त सिद्धदोष है परन्‍तु वह उस अभियुक्‍त को कठोर दंड का आदेश देने की अधिकारिता नहीं रखता है। ऐसी स्थिति में वह अपनी राय अभिलिखित करते हुए समस्‍त कार्यवाही तथा अभियुक्‍त को मुख्‍य न्‍यायिक मजिस्‍ट्रेट को भेज देगा। यदि एक से अधिक अभियुक्‍तों का एक साथ विचारण किया जा रहा हो तथा मजिस्‍ट्रेट की राय में उनमें से किसी अभियुक्‍त को कठोर दंड दिया जाना अपेक्षित हो, तो उस दशा में सभी अभियुक्‍तों को मुख्‍य न्‍यायिक मजिस्‍ट्रेट के पास विचारण हेतु भेजा जाएगा। ऐसी कार्यवाही तथा अभियुक्‍त मुख्‍य न्‍यायिक मजिस्‍ट्रेट को सम्‍प्रेषित किये जाने पर वह मुख्‍य न्‍यायिक मजिस्‍ट्रेट जिसके पास कार्यवाही भेजी गई है, यदि आवश्‍यक समझे, तो पूर्व में साक्ष्‍य दे चुके व्‍यक्तियों का परीक्षण कर सकता है।  
 
 
 
 
 

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