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साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

created Sep 20th 2022, 03:36 by lovelesh shrivatri


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धारा की कोई बात, हाजिर होने के लिए ऐसे अपेक्षित किसी पक्षकार को या किसी अन्‍य हितबद्ध व्‍यक्ति को यह दर्शित करने से नहीं रोकेगी कि कोई पूर्वोक्‍त प्रकार का विवाद वर्तमान नहीं है या नहीं रहा है और ऐसी देशा में मजिस्‍ट्रेट अपने उक्‍त आदेश को रद्द कर देगा और उस पर आगे की सब कार्यवाहियां रोक दी जायेंगी, किन्‍तु उपधारा (1) के अधीन मजिस्‍ट्रेट का आदेश ऐसे रद्दकरण के अधीन रहते हुए अन्तिम होगा।  
यदि मजिस्‍ट्रेट यह विनिश्‍चय करता है कि पक्षकारों में से एक का उक्‍त विषयवस्‍तु पर ऐसा कब्‍जा था या उपधारा (4) के परन्‍तुक के अधीन ऐसा कब्‍जा माना जाना चाहिए, तो वह घोषणा करने वाला कि ऐसा बेदखल कर दिया जाए और या निषेध करने वाला कि जब तक ऐसी बेदखली कर दी जाए तब ऐसे कब्‍जे में कोई विघ्‍न डाला जाए, आदेश जारी करेगा, और जब वह उपधारा 4 के परन्‍तुक के अधीन कार्यवाही करता है तब उस पक्षकार को, जो बलात् और सदोष बेकब्‍जा किया गया है कब्‍जा लौटा है। इस उपधारा के अधीन दिया गया आदेश 3 में अधिकथित रीति से तामील और प्रकाशित किया जाएगा। जब किसी ऐसी कार्यवाही के पक्षकार की मृत्‍यु हो जाती है तब मजिस्‍ट्रेट मृत पक्षकार के विधिक प्रतिनिधि को कार्यवाही का पक्षकार बनवा सकेगा और फिर जॉच चालू रखेगा और यदि इस बारे में कोई प्रश्‍न उत्‍पन्‍न होता है कि मृत पक्षकार का ऐसी कार्यवाही के प्रयोजन के लिए विधिक प्रतिनिधि कौन है तो मृत पक्षकार का प्रतिनिधि होने का दावा करने सब व्‍यक्तियों को उस कार्यवाही का पक्षकार बना लिया जाएगा।  
यदि मजिस्‍ट्रेट की यह राह है कि उस सम्‍पत्ति की, जो इस धारा के अधीन उसके समक्ष लम्बित कार्यवाही में विवाद की विषयवस्‍तु है, कोई फसल या अन्‍य उपज शीघ्रतया और प्रकृत्‍या क्षयशील है तो वह ऐसी सम्‍पत्ति की उचित अभिरक्षा या विक्रय के लिए आदेश दे सकता है और जॉच के समाप्‍त होने पर ऐसी सम्‍पत्ति के या उसके विक्रय के आगमों के व्‍ययन के लिए आदेश दे सकता है, जो वह ठीक समझे। यदि धारा 145 की उपधारा (1) के अधीन आदेश करने के पश्‍चात् किसी समय मजिस्‍ट्रेट मामले को आपातिक समझता है अथवा यदि वह विनिश्‍चय करता है कि पक्षकारों में से किसी का धारा 145 में यथानिदिर्ष्‍ट कब्‍जा उस समय नहीं था, अथवा यदि वह अपना समाधान नहीं कर पाता है कि उस समय उनमें से किसका ऐसा कब्‍जा विवाद की विषयवस्‍तु पर था तो वह विवाद की विषयवस्‍तु को तब तक के लिए कुर्क कर सकता है।  

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