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SHREE BAGESHWAR ACADEMY TIKAMGARH (M.P.)CPCT HINDI MATTER Contact- 8103237478

created Sep 19th 2022, 08:33 by Shreebageshwar Academy


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बीते दिनों केरल उच्‍च न्‍यायालय की इस टिप्‍पणी ने सारे देश का ध्‍यान अपनी ओर खींचा कि नई पीढ़ी विवाह को बुराई के रूप में देखती है और आनंद से जीने के लिए इससे बचना चाहती है। लिव रिलेशनशिप का चलन बढ़ रहा है। यह समाज के लिए चिंता का विषय है। उच्‍च न्‍यायालय ने इस चलन को वैवाहिक संबंधों के मामले में यूज एंड थ्रो वाली संस्‍कृति की संज्ञा दी। उसने विवाह के प्रति युवा पीढ़ी के घटते मोह पर भी अपनी चिंता प्रकट की। यह चिंता स्‍वाभाविक भी है, क्‍योंकि विवाह संस्‍था पर ही समाज की आधार भूमि खड़ी है। अगर यह प्रभावित होगी तो स्‍वाभाविक रूप से इसका प्रभाव सामाजिक संरचना पर भी पडे़गस। विवाह संबंधों के बिखराव पर अमूमन पश्र्चिमी संस्‍कृति को दोष देने की मानसिकता द्दष्टिगोचर होती है, परंतु क्‍या पश्र्चिमी देशों को उलाहना देने मात्र से भारत में बिखरते वैवाहिक संबंधों की समस्‍या से मुक्ति मिल सकती है? अगर ऐसा होता तो यह समस्‍या इतनी तीव्रता से भारतीय समाज को नहीं जकड़ती। इसलिए यह आवश्‍यक है कि हम यह जानने का प्रयास करें कि क्‍यों युवा पीढ़ी को विवाह रास नहीं रहा। वह क्‍यों उन्‍मुक्त जीवन जीना चाह रही है।
रक्तसंबंधों के अतिरिक्त वे रिश्‍ते जिनका चुनाव स्‍वंय करना होता है, उसके पीछे मुख्‍यत: आवश्‍यकता का सिद्धांत कार्य करता है। विवाह सदैव भावनात्‍मक एंव मा‍नसिक संबलता का पर्यात माना जाता रहा है। वैवाहिक संबंधों की सबसे बड़ी खूबसूरती अंतर्निर्भरता है, जो उसके स्‍थायित्‍व का मूलभूत तत्‍व भी है। दंपती अपनी दैहिक, भावनात्‍मक स्थिति तब उत्‍पन्‍न हुई, जब ये आवश्‍यकताएं वैवाहिक संबंधों की परिधि से बाहर प्राइज़ होने लर्गी। यहीं से विवाह की आवश्‍यकता को नकारा जाने लगा और उत्तरदायित्‍वों का अंतहीन बोझ प्रतीत होने लगा। जो युवा येन-केन प्रकारेण विवाह संबंधों में बंध भी गए, उनमें से कुछ को यह निर्णय गलत प्रतीत होता है और इसका एक बहुत बड़ा कारण स्‍व-श्रेष्‍ठता का भाव है। यह स्‍त्री और पुरुष दोनों में ही समान रूप से व्‍याप्‍त होता दिखता है। स्‍वयं की विचारधारा, मूल्‍यों और जीवन जीने के तरीकों को श्रेष्‍ठ मानते हुए अपने साथी के प्रति हीन भाव रखना या उसे अपने मनोनुकूल जीवन जीने के लिए विवश करना संघर्षपूर्ण पारिवारिक रिश्‍ते का आरंभ है। एंथ्रोपोमोर्फिज्‍म सिद्धांत वैवाहिक संबंधो में बिखराव को समझने में सहायत है। यह सिद्धांत ऐसे व्‍यक्ति या लोगों को संदर्भित करता है, जो स्‍वयं के मूल्‍यों के आधार पर दूसरों का मूल्‍यांकन करते हैं। यह स्थिति आत्‍मकेंद्रितता की अभिव्‍यक्ति है और दूसरों के साथ लोगों के संबंधो को नकारात्‍मत रूप से प्रभावित करती है। इस संदर्भ में एमजे कामेली का शोध स्‍पष्‍ट इंगित करता है कि स्‍वार्थ का बढ़ना और दांपत्‍य जीवन में दूसरे व्‍यक्ति की इच्‍छाओं और आवश्‍यकताओं पर ध्‍यान नहीं देना परिवार के टूटने का एक बड़ा कारण है।  

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