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ACADEMY FOR STENOGRAPHY, MORENA,DIR- BHADORIYA SIR TYPING MPHC DISTRICT COURT AG-3 TEST DATE 19-09-2022

created Sep 19th 2022, 06:13 by mahaveer kirar


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प्रार्थी का आवेदन पत्र अंतर्गत धारा 166 मोटरयान अधिनियम संक्षेप में इस प्रकार है कि उक्‍त दिनांक को शाम 04 बजे प्रार्थी पैदल-पैदल नौकरी से घर पर रहा था कि जैसे ही वह इंदौर में कारखाने के पास पहुंचा कि तभी पीछे से वाहन के चालक ने वाहन को तेजी एवं लापरवाहीपूर्वक चलाते हुए लाया और प्रार्थी को पीछे से टक्‍कर मार दी, प्रार्थी गिर गया एवं उसे गंभीर स्‍वरूप की चोटें आयीं और वह नौकरी का कार्य करने में अयोग्‍य हो गया है, जिसके कारण उसे उसके परिवार को शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है एवं जीवनपर्यन्‍त करना पड़ेगा। घटना की पुलिस रिपोर्ट थाना इंदौर में उपस्थित होकर पंजीबद्ध की गयी। प्रस्‍तुत प्रकरण में अभियुक्‍तगण का यह प्रथम अग्रिम जमानत आवेदन पत्र अंतर्गत धारा 438 दंड प्रक्रिया संहिता का होना एवं अन्‍य कोई आवेदन पत्र माननीय उच्‍च न्‍यायालय अथवा किसी अन्‍य न्‍यायालय में लंबित नहीं होना एवं ही पूर्व में निराकृत होना प्रकट किया गया है। इस संबंध में अभियुक्‍तगण की ओर से अभियुक्‍त क्रमांक 02 ने स्‍वयं का शपथ पत्र प्रस्‍तुत किया है। अभियुक्‍तगण की ओर से जमानत आवेदन पत्र मय सूची दस्‍तावेज प्रस्‍तुत कर निवेदन किया कि आवेदक अभियुक्‍त के विरुद्ध आरक्षी केन्‍द्र द्वारा अपराध क्रमांक 56/22 अंतर्गत धारा 147, 354, 323, 294, 506 भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत अपराध पंजीबद्ध किया गया है, जिसमें पुलिस आवेदकगण अभियुक्‍तगण को उक्‍त प्रकरण में गिरफ्तार करने के लिए प्रयासतर है। आवेदकगण अभियुक्‍तगण का तथाकथित अपराध से या अन्‍य किसी अपराध से प्रत्‍यक्ष या परोक्ष रूप से कोई संबंध या सरोकार नहीं है। प्रकरण में सहअभियुक्‍त को जमानत का लाभ प्रदान किया गया और आवेदकगण का उक्‍त अपराध सहअभियुक्‍त से भिन्‍न नहीं है। अत: समानता के आधार पर जमानत का लाभ प्रदान किए जाने का निवेदन किया गया है। उच्‍च न्‍यायालय में अपील के संबंध में अपने आदेश में मत व्‍यक्‍त किया कि अभियोक्‍त्री के अभियुक्‍त के साथ प्रेम संबंध होने की बात को किसी संदेह के बिना सिद्ध किया गया है और साथ ही साथ यह तथ्‍य भी है कि वे अक्‍सर मिलते रहते थे इसलिए अपीलार्थी को बलात्‍संग कारित करने का दोषी ठहराया गया है।  

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