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बंसोड टायपिंग इन्स्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0
created Aug 16th 2022, 04:28 by sachin bansod
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भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने का गौरवशाली अवसर इतिहास में दर्ज हो गया है। लगभग हर मुहल्ले में कोई न कोई विशेष आयोजन और हर घर तिरंगा अभियान तो कुल मिलाकर बहुत यादगार रहा है। इस खास पड़ाव पर जितना महत्वपूर्ण राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का उद्वोधन है, उतनी ही चर्चा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण की हुई है। स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि हम भारतीयों ने संदेह जताने वाले लोगों को गलत साबित कर दिया है। इस मिट्टी में न केवल लोकतंत्र की जड़े बढ़ी हैं, बल्कि समृद्ध भी हुईं। राष्ट्रपति ने कहा कि देश का विकास अधिक समावेशी होता जा रहा है और क्षेत्रीय असमानताएं भी कम हो रही हैं। राष्ट्रपति ने गौरव के साथ याद किया कि अधिकांश लोकतांत्रिक देशों में वोट देने का अधिकार प्राप्त करने के लिए महिलाओं को लंबे समय तक संघर्ष करना पड़ा था, लेकिन हमारे गणतंत्र की शुरुआत से ही भारत ने सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार को अपनाया। राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने पहले उद्वोधन से न केवल देशवासियों को प्रेरित किया है, बल्कि उन्हें गर्व का भी एहसास कराया है।
पंद्रह अगग्त की सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से संबोधन के दौरान भ्रष्टाचारियों पर जमकर प्रहार किया। उन्होंने इसके खिलाफ जंग में देशवासियों का सहयोग भी मांगा। भाई-भतीजावाद पर भी चिंता जताई और कहा कि राजनीति के अलावा भी यह कई क्षेत्रों को प्रभावित कर रहा है। प्रधानमंत्री के इस उपयोगी उद्वोधन के अनेक अर्थ निकाले जा रहे हैं, प्रशंसा हो रही है, तो आलोचक भी कम नहीं हैं। भ्रष्टाचार देश में अगर बढ़ रहा है, तो किसकी जिम्मेदारी बनती है? भ्रष्टाचार को कौन खत्म करेगा? आजादी के 75वें साल में इस सवाल का उठना अपने आप में गंभीर बात है। आजादी के स्वप्न में भ्रष्टाचार से मुक्ति भी शामिल थी। आज भ्रष्टाचार पर प्रधानमंत्री अगर चिंता जता रहे हैं, तो देश अच्छी तरह से वस्तुस्थिति को समझ रहा है। प्रधानमंत्री ने बिल्कुल सही कहा है कि किसी के पास रहने को जगह नहीं और किसी के पास चोरी का माल रखने की जगह नहीं है। निस्संदेह, भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद के खिलाफ हमें मिलकर कदम उठाने पड़ेंगे।
पंद्रह अगग्त की सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से संबोधन के दौरान भ्रष्टाचारियों पर जमकर प्रहार किया। उन्होंने इसके खिलाफ जंग में देशवासियों का सहयोग भी मांगा। भाई-भतीजावाद पर भी चिंता जताई और कहा कि राजनीति के अलावा भी यह कई क्षेत्रों को प्रभावित कर रहा है। प्रधानमंत्री के इस उपयोगी उद्वोधन के अनेक अर्थ निकाले जा रहे हैं, प्रशंसा हो रही है, तो आलोचक भी कम नहीं हैं। भ्रष्टाचार देश में अगर बढ़ रहा है, तो किसकी जिम्मेदारी बनती है? भ्रष्टाचार को कौन खत्म करेगा? आजादी के 75वें साल में इस सवाल का उठना अपने आप में गंभीर बात है। आजादी के स्वप्न में भ्रष्टाचार से मुक्ति भी शामिल थी। आज भ्रष्टाचार पर प्रधानमंत्री अगर चिंता जता रहे हैं, तो देश अच्छी तरह से वस्तुस्थिति को समझ रहा है। प्रधानमंत्री ने बिल्कुल सही कहा है कि किसी के पास रहने को जगह नहीं और किसी के पास चोरी का माल रखने की जगह नहीं है। निस्संदेह, भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद के खिलाफ हमें मिलकर कदम उठाने पड़ेंगे।
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