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उन्नति टाईपिंग सेंटर टीकमगढ़ म.प्र. 9171686356 By- Golu pal
created Aug 16th 2022, 03:30 by unnati
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बहुत पहले की बात है, एक भिखारी सड़क के किनारे रहा करता था। उसका न तो कोई रहने का ठिकाना था और न ही कमाई का कोई निश्चित जरिया। वह कंधे पर एक झोला लटकाए सुबह से शाम तक भीख मांगा करता था। कहीं से उसे रोटी मिल जाती तो दूसरी जगह से सब्जी मांग कर पेट भर लेता था। लोग उसे वैगी कह कर पुकारते थे।
एक दिन वैगी को सुबह से शाम तक कुछ भी खाने को नहीं मिला। उसका भूख के मारे बुरा हाल था। वह परेशान होकर इधर-उधर घूम रहा था। तभी एक बूढ़ी स्त्री ने उसे अपने पास बुलाया और उसकी परेशानी का कारण पूछा। स्त्री ने वैगी को एक गेहूं का दाना देते हुए कहा- यह गेहूं का दाना करामाती है, इसे अपने पास संभाल कर रखना। जब तक यह दाना तुम्हारे पास रहेगा तुम्हें भोजन की कोई कमी नहीं होगी।
वैगी दाने को अपने थैले में डालकर भोजन की तलाश में पास के एक होटल की तरफ से गुजर रहा था। तभी एक व्यक्ति ने उसे रोककर कहा- तुम यहां आकर पेट भर कर भोजन खा सकते हो। यहां आज हमारे सेठ जी का जन्मदिन मनाया जा रहा है।
वैगी मन ही मन बहुत खुश हुआ और होटल से पेट भर खाना खाकर बाहर निकला। वह सोचने लगा कि यह गेहूं के दाने की करामात है या केवल एक संयोग कि उसे मुफ्त में पेट भर भोजन मिल गया।
अगले दिन वह घूमते-घूमते थक गया तो भोजन के लिए एक घर पर पहुंच गया। वहां उसने दरवाजे पर दस्तक दी। एक सभ्य व पढ़ी-लिखी स्त्री ने उसे आदरपूर्वक भीतर बुलाया और कहा- आप यहां रात्रि को विश्राम कर सकते हैं पहले आप भोजन कर लीजिए।
एक दिन वैगी को सुबह से शाम तक कुछ भी खाने को नहीं मिला। उसका भूख के मारे बुरा हाल था। वह परेशान होकर इधर-उधर घूम रहा था। तभी एक बूढ़ी स्त्री ने उसे अपने पास बुलाया और उसकी परेशानी का कारण पूछा। स्त्री ने वैगी को एक गेहूं का दाना देते हुए कहा- यह गेहूं का दाना करामाती है, इसे अपने पास संभाल कर रखना। जब तक यह दाना तुम्हारे पास रहेगा तुम्हें भोजन की कोई कमी नहीं होगी।
वैगी दाने को अपने थैले में डालकर भोजन की तलाश में पास के एक होटल की तरफ से गुजर रहा था। तभी एक व्यक्ति ने उसे रोककर कहा- तुम यहां आकर पेट भर कर भोजन खा सकते हो। यहां आज हमारे सेठ जी का जन्मदिन मनाया जा रहा है।
वैगी मन ही मन बहुत खुश हुआ और होटल से पेट भर खाना खाकर बाहर निकला। वह सोचने लगा कि यह गेहूं के दाने की करामात है या केवल एक संयोग कि उसे मुफ्त में पेट भर भोजन मिल गया।
अगले दिन वह घूमते-घूमते थक गया तो भोजन के लिए एक घर पर पहुंच गया। वहां उसने दरवाजे पर दस्तक दी। एक सभ्य व पढ़ी-लिखी स्त्री ने उसे आदरपूर्वक भीतर बुलाया और कहा- आप यहां रात्रि को विश्राम कर सकते हैं पहले आप भोजन कर लीजिए।
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