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SHAHID MANSOORI,''किसका है ये तुमको इंतेजार मैं हूं ना_देखलो इधर को एक बार मैं हूं नाााा''''
created Jul 30th 2022, 13:54 by Ghulam Mustafa
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दोषमुक्ति के आदेश में अपील न्यायालय के द्वारा यह निष्कर्ष निकाला जाता है कि निचले न्यायालय ने दोषमुक्ति का आदेश करते हुए बड़ी गलती की है और वह दूषित है, वहां अपील न्यायालय दोषमुक्ति के ऐसे आदेश में हस्तक्षेप कर सकता है। संक्षेप में मामला यह है कि उच्च न्यायालय ने सेशन न्यायाधीश द्वारा भारतीय दण्ड संहिता की धारा 34 के साथ सहपठित धारा 302 के अधीन अपराधों के लिए अभियुक्तों को दोषमुक्त करते हुए आजीवन कारावास का दण्डादेश दिया। उसके विरूद्ध अपील किए जाने पर उच्च न्यायालय ने उस दोषसिद्धि और दण्डादेश को उलटते हुए उन्हें दोषमुक्त कर दिया। उस दोषमुक्ति के विरूद्ध संविधान के अनुच्छेद 136 के अधीन उच्चतम न्यायालय में विशेष इजाजत अपील की। विशेष इजाजत लेकर की गई इस दाण्डिक अपील में जो मुख्य मुद्दा अंतर्ग्रस्त है, वह यह है कि क्या उच्च न्यायालय का निचले न्यायालय द्वारा की गई दोषसिद्धि और दिए गए दण्डादेश को उलटना न्यायोचित है, उच्चतम न्यायालय द्वारा अपील भागत: मंजूर करते हुए, निस्संदेह यह सच है कि स्वयं निर्मित व्यवहार के नियम के रूप में न्यायालय उच्च न्यायालय द्वारा निकाले गए तथ्य संबंधी निष्कर्षों में हस्तक्षेप नहीं करता, किन्तु तथ्यों के ऐसे निष्कर्ष गंभीर गलतियों के कारण दूषित नहीं होने चाहिए। जहां धारणा और हस्तक्षेप की गंभीर गलतियां किसी निष्कर्ष को दूषित करती हैं, वहां हस्तक्षेप न्यायोचित होता है। दण्ड न्याय-शास्त्र और दण्ड न्याय-प्रशासन के स्वीकृत सिद्धांत यह अपेक्षा करते हैं कि अपील न्यायालय को बहुत ही सारवान और वैवेशिक कारणों से करने के सिवाय दोषमुक्ति को उलटने से विरत रहना चाहिए। जब तक कि सारवान या वैवेशिक कारण या बहुत ही सारवान कारण या सबल कारण न हों, दोषमुक्ति के निर्णय में निकाले गए निष्कर्षों में हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए। सुसंगत सिद्धांत साक्ष्य का पुनर्मूल्यांकन और पुनर्मूल्यांकन करने संबंधी अपील न्यायालय की शक्ति के विस्तार से उस दशा में विचलित नहीं होते हैं, यदि साक्ष्य का पुनर्विलोकन करने पर, दोषमुक्ति के आदेश के बावत् यह पाया जाता है कि वह अत्यधिक गलत है। दोषमुक्ति के विरूद्ध की गई अपील में अपील न्यायालय की शक्तियां उन शक्तियों से भिन्न नहीं होती या असंगत नहीं होतीं जो कि अपील न्यायालय की दोषसिद्धि के विरूद्ध की गई अपील में होती है।
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