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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Jul 1st 2022, 10:17 by lovelesh shrivatri
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एक दिन राजा भोज ने गैर जिम्मेदार मंत्री तथा एक स्वामी भक्त मंत्री को दरबार में उपस्थित होने के लिए आदेश दिया। आदेश के अनुसार दोनों मंत्री वहां दरबार में राजा के समक्ष उपस्थित हुए। राजा ने दोनों को एक थैला देकर बाग में जाकर फल लाने को कहां। दोनों मंत्री शाही बाग में जाकर फल तोड़ने लगे। जिम्मेदार और स्वामी भक्त मंत्री ने अपने राजा के लिए सुंदर स्वादिष्ट और ताजे फल तोड़े और अपना थैला भर लिया। वही कामचोर और लापरवाह गैर जिम्मेदार मंत्री ने विचार किया राजा कौन सा थैला देखेगा और फल चुनेगा जो समझ आए वही झटपट भर लेता हूं। ऐसा विचार कर उसने कच्चे-पक्के, सड़े-गले सभी प्रकार के फल से झटपट अपना थैला भर लिया।
दोनों मंत्री अपने-अपने के थैले को लेकर दरबार में उपस्थित हुए। राजा भोज ने अपने सिपाहियों को आदेश दिया दोनों मंत्रियों को उनके थैले के साथ कैद खाने में कैद कर लिया जाए। आदेश का पालन हुआ दोनों मंत्रियों को थेलों के साथ कैद कर लिया गया। राजा ने आदेश दिया था उन्हें भोजन ना दिया जाए, ऐसा ही हुआ। दोनों अलग-अलग कोठरी में कैद थे, भूख लगती तौ थैले से फल निकाल कर खा लेते और अपनी भूख शांत करते।
जिस मंत्री के पास स्वादिष्ट और उच्च कोटि के फल के फल थे, वह ज्यादा दिन तक फल को खाता रहा। जबकि गैर जिम्मेदार और लापरवाह मंत्री के फल तुरंत ही खराब ओर बर्बाद हो गए, क्योंकि उसने फल का चुनाव ठीक प्रकार से नहीं किया था। हालत यह हुई कि वह मंत्री बेहोश हो गया उसको तत्काल उपचार के उपरांत दरबार में उपस्थित किया गया। राजा भोज ने मंत्री को समझाया यह जीवन एक सुंदर बाग के रूप में है, यहां सुंदर और स्वादिष्ट फल के अनुरूप अपने जीवन को चुनना चाहिए। बुरे कर्म बुरे समय में काम नहीं आते। अच्दे कर्म ही बुरे समय में संबल बनते हैं, इसलिए सभी को अच्छे कर्म करते रहना चाहिए।
शिक्षा- जो व्यक्ति अच्छा कर्म करता है उसके साथ सदैव अच्छा ही होता है।
दोनों मंत्री अपने-अपने के थैले को लेकर दरबार में उपस्थित हुए। राजा भोज ने अपने सिपाहियों को आदेश दिया दोनों मंत्रियों को उनके थैले के साथ कैद खाने में कैद कर लिया जाए। आदेश का पालन हुआ दोनों मंत्रियों को थेलों के साथ कैद कर लिया गया। राजा ने आदेश दिया था उन्हें भोजन ना दिया जाए, ऐसा ही हुआ। दोनों अलग-अलग कोठरी में कैद थे, भूख लगती तौ थैले से फल निकाल कर खा लेते और अपनी भूख शांत करते।
जिस मंत्री के पास स्वादिष्ट और उच्च कोटि के फल के फल थे, वह ज्यादा दिन तक फल को खाता रहा। जबकि गैर जिम्मेदार और लापरवाह मंत्री के फल तुरंत ही खराब ओर बर्बाद हो गए, क्योंकि उसने फल का चुनाव ठीक प्रकार से नहीं किया था। हालत यह हुई कि वह मंत्री बेहोश हो गया उसको तत्काल उपचार के उपरांत दरबार में उपस्थित किया गया। राजा भोज ने मंत्री को समझाया यह जीवन एक सुंदर बाग के रूप में है, यहां सुंदर और स्वादिष्ट फल के अनुरूप अपने जीवन को चुनना चाहिए। बुरे कर्म बुरे समय में काम नहीं आते। अच्दे कर्म ही बुरे समय में संबल बनते हैं, इसलिए सभी को अच्छे कर्म करते रहना चाहिए।
शिक्षा- जो व्यक्ति अच्छा कर्म करता है उसके साथ सदैव अच्छा ही होता है।
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