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बंसोड कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इन्‍स्‍टीट्यूट छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 प्रवेश प्रारंभ (CPCT, DCA, PGDCA & TALLY)

created Jul 1st 2022, 01:28 by Ashu Soni


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वर्तमान कानूनों में सजा की स्‍कीम के संगठित गिरोह की चुनोतियों का समाना करने के लिए पर्याप्‍त यप से निवारक नहीं है। कानूनों में बार-बार किए जाने वाले अपराधों के लिए अधिकतम दंडावधि कारावास की तीन तथा चार वर्ष तथा जुर्माने के साथ या बिना जुर्माने के रखी गई है। इसके अतिरिक्‍त वर्तमान कानूनों में न्‍यूनतम दंड विहित नहीं किया गया है। इसके परिणाम स्‍वरूप ड्रग्‍ का व्‍यापार करने वाले कुछ समय से ननयायालयें द्वारा नाममात्र के दंड से ही अपने आपको कानून के सिकंजे से दूर रखते आए हैं। भारतवर्ष कुछ वर्षों से ड्रग्‍स के बढ़ते हुए अवैध व्‍यापार की समस्‍या का सामना खासतौर से हमारे कुछ पड़ोसी मुलकों से और गंतव्‍य मुख्‍यत: पश्चिमी मुल्‍कों से करता रहा है।  
वर्तमान केंद्रीय कानूनों में महत्‍वपूर्ण इंफोर्समेंट एजेंसीज के बहुत से अधिकाररियोओं को जैसे नारकोटिक्‍स, कस्‍टम्‍स, सैंट्रल एक्‍साइज आदि भाग के अधिकार हैं। उपरोक्‍त कारणों के अधीन अपराधों के अन्‍वेषण करने की शक्ति के साथ अन्‍वेषण करने का प्रावधान नहीं है। चूंकि उपरोक्‍त तीन केंद्रीय कानूनों की अधिनियमित नारकोटिक्‍स कंट्रोल के क्षेत्र में एक विशाल अंतर्राष्‍ट्रीय कानून से अनेक अंतर्राष्‍ट्रीय संधियों तथा नवाचार से अंर्तग्रस्‍त रही है। इन संधियों और अभिप्रयोगों में भारत सरकार एक पार्टी हो गई है और जिससे बहुत से ऐसे दायित्‍वों के अनुक्रम में बंध गई जिसका वर्तमान कानून से समावेश नहीं है या जिनके कुछ भाग का समावेश है। स्‍वापक औषधि एवं मन:प्रभाव पदार्थ्‍ के भयानक दौर और जोखिम की तरफ सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एस नटराजन तथा जस्टिस एस रतनबेल पांडियन का ध्‍यान एक मामले में गया और मत व्‍यक्‍त किया गया कि गहरी चिंता के साथ हम ध्‍यान दिला सकते हैं कि अपराध जगत के अपराधी वर्ग की संगठित गतिविधियां और स्‍वापक औषधियों एवक मन:प्रभावी पदार्थ की इस देश में गुप्‍त रूप से तसकरी और ऐसे मादक द्रव्‍य पदार्थों मं अवैध व्‍यापार ने पब्लिक के काफी बड़े हिस्‍से को खासतौर से किशारे, युवाओं, लडकों, लड़कियों तथा विद्यार्थियों को मादक द्रव्‍य लेने की लत डाल दी। उन्‍हें वयसनी बना दिया और हाल के वर्षों में इस जाखिम ने गंभीर और खतरनमक अनुपात को अपना लिया है इसलिए इस प्रचुूर रूप से उत्‍पन्‍न होने वाली और सर्वनाशकारी जाखित संपूण समाज पर घातक प्राभवव और प्रकट प्रीाावरीकर जाखिम के प्रभावशाली नियंत्रण और उन्‍मूलन के लिए अपनी बुद्धिमत्‍ता से संसद ने इस कानून को अधिनियमित करते हुए और न्‍यूनतम कारावास तथा जुर्माने को आदेशात्‍मक विनिर्दिष्‍ट करते हुए प्रभावी प्रावधान किए हैं1 इस कानून में न्‍यायिक दृष्टि से संतुलन बनाए रखने के लिए जहां एक ओर समाज की इस घातक वयसनी जोखिम के उन्‍मूलन करने के लिए कठोर दंड प्रावधान है।  
 

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