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ACADEMY FOR STENOGRAPHY, MORENA,DIR- BHADORIYA SIR TYPING MPHC DISTRICT COURT AG-3

created Jun 30th 2022, 04:24 by ThakurAnilSinghBhado


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महाराष्‍ट्र में जारी सियासी जंग के बीच सीएम उद्धव ठाकरे ने अपने मुख्‍यमंत्री पद से और विधान परिषद की सदस्‍या से इस्‍तीफा दे दिया है। सियासी संकट के बीच आज सदन में सत्‍ताधारी दल द्वारा शक्ति परीक्षण किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सीएम उद्धव ठाकरे ने अपने पद से इस्‍तीफा दिया। एकनाथ शिंदे गुट ने जब से शिवसेना का साथ छोड़ा है तभी से राज्‍य में सत्‍ताधारी दल पर संकट के बादल मंडरा रहे थे। तमाम राजनीतिक सूझ-बूझ के बावजूद शिवसेना में रार देखने को मिली साथ ही आपको यह भी जानना होगा कि आखिर उद्धव ठाकरे कैसे अर्श से फर्श पर गए बाला साहेब ठाकरे के समय से ही शिवसेना एक हिंदुत्‍ववादी पार्टी की छवि में रही है। राजनीति की समझ रखने वाले लोगों की मानें तो उद्धव ठाकरे पार्टी के मूल सिद्धांत से भटक गए और हिंदुत्‍व की उनके लिए कोई कीमत ही नहीं है। उनकी सरकार में कई ऐसे मामले देखने को मिले जहां वो बोलने से बचते दिखे पालघर में साधु की हत्‍या का मामाल हो या फिर कंगना रणौत और नवनीत राणा से जुड़ा मामला हो। हनुमान चालीसा और लाउडस्‍पीकर मामले पर भी वह बोलने से बचते रहे और जब बोले तब उन्‍होंने नापतोल कर बोला वीर सावरकर पर भी कांग्रेस नेता जब टिप्‍पणी कर रहे थे तब उद्धव ठाकरे खामोश थे। इससे उनके हिंदुत्‍व वाली छवि को नुकसान पहुंचा है। शिवसेना और उद्धव ठाकरे को फर्श पर लाने का काम किया उनके ही पार्टी के नेताओं ने दरअसल एकनाथ शिंदे ने शिवसेना में बगावत की उनका कहना था कि उद्धव ठाकरे नेताओं से मिलते नहीं वहीं उनकी आदित्‍य ठाकरे से कुछ अनबन की भी बात सामने आई थी। ऐसे में उन्‍होंने बगावत की और एकनाथ शिंदे के साथ शिवसेना के कई विधायक और सांसद मिल गए। ऐसे में उद्धव ठाकरे पर उनकी सहयोगी पार्टी एनसीपी ने सवाल किया कि शिवसेना में इतनी बड़ी विद्रोह की भनक मुख्‍यमंत्री को क्‍यों नहीं लगी। ऐसे में पार्टी में हुई बगावत शिवसेना गठबंधन वाली सरकार को गिराने में भूमिका निभा रही है।

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