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साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

created Jun 30th 2022, 03:24 by Sai computer typing


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यह देखने में रहा है कि पिछले कुछ दशकों से हमारी सरकारें सार्वजनिक सेवाओं में कम निवेश कर रही है। बेहतर तो यह है कि हमें संविदा आधारित रोजगार का विस्‍तार करने की बजाय, सार्वजनिक क्षेत्र में नियमित सेवाओं को बढ़ावा देना चाहिए। कोविड संकट के दौर में साफ नजर आया कि महामारी को तो छोड़े हमारे पास सामान्‍य परिस्थितियों में भी नागरिकों को पर्याप्‍त स्‍वास्‍थ्‍य सहायता देने की क्षमता नहीं है। आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2019 में हर घंटे औसतन एक भारतीय नागरिक ने बेरोजगारी, गरीबी या दिवालिएपन के कारण खुदखुशी की। तकरीबन 25 हजार भारतीय 2018 से 2020 के बीच बेरोजगारी या कर्ज में डूबे होने के कारण आत्‍महत्‍या के लिए मजबूर हुए। गौरतलब है कि शॉर्ट नोटिस पर लोगों को रखना और उन्‍हें हटाना हमारी कार्य संस्‍कृति का हिस्‍सा नहीं हैं, बल्कि इसे बाहर से आयात किया गया है। असम में बाहर-तेरह साल से अनुबंध पर कार्यरत पंचायत और ग्रामीण विकास कर्मियों ने गत फरवरी में उन्‍हें बोनस, भत्ते, पेंशन या वेतन संशोधन नहीं देने पर विरोध प्रदर्शन किया। लाभदायक सार्वजनिक उपक्रम रहें भारतीय टेलीफोन उद्योग के 80 श्रमिकों को गत वर्ष संयंत्र में प्रवेश से यह कहकर रोक दिया गया हि उनकी सेवा समाप्‍त की जा चुकी है। गत अप्रेल में ही छत्तीसगढ़ में बिजली विभाग के 200 संविदाकर्मियों पर पानी की बौछार की गई और फिर उन्‍हें गिरफ्तार किया गया। दरअसल, इस पूरे मामले में समस्‍या दोहरी है। पहली बात तो यह कि सरकारें अपने यहां खाली पदों को पर्याप्‍त गति से नहीं भर रहीें। दूसरें, जहां रिक्तियां भरी भी जा रही हैं, वे ज्‍यादातर संविदा के आधार पर ही हैं। 2014 में 43 फीसदी सरकारी कर्मचारियों की नौकरी अस्‍थायी या संविदा पर थी। सार्वजनिक सेवा प्रावधान के विस्‍तार से कुशन श्रम के साथ अच्‍छी गुणवत्ता वाली नौकरियों का सृजन भी होगा, जो हमें सामाजिक स्थिरता प्रदार करेगा। सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य सेवा को बढ़ाने पर जोर देने से सामाजिक संपत्ति का निर्माण तो होगा ही, इससे आयुष्‍मान भारत जैसे बीमा-आधारित मॉडल के भी कारगर होने में मदद मिलेगी। इस तरह के खर्च से अंतत: उपभोक्‍ता मांग में भी वृद्धि के साथ कई ठोस प्रभाव सामने आएंगे। इन सबसे भारत के शहरों और गांवों में उत्‍पादकता और जीवन की गुणवत्ता में स्‍वाभाविक तौर पर सुधार होगा। इसी तरह अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में भी रोजगार सृजन की महत्वपूर्ण संभावनाएं हैं। इसी तरह अपशिष्‍ट प्रबंधन के क्षेत्र में भी अपशिष्‍ट जल उपचार क्षमता के विस्‍तार की गुजांइश है, जिससे रोजगार के अवसर पैदा होंगे। इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने और हरित गतिशीलता को प्रोत्‍साहित करने के लिए जनशक्ति की आवश्‍यकता होगी।   

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