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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Jun 24th 2022, 03:43 by lucky shrivatri
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किसी प्रसिद्ध भीड़-भाड़ वाली जगह पर जाने की अपेक्षा मुझे दूरदराज स्थित शांत और सुरम्य स्थान ज्यादा पसंद है। वातावरण, जैव विविधता, पराम्परिकता और संस्कृति होती है। पिछले दिनों ऐसी ही एक जगह मानिला पहुंचना हुआ। मानिला वैसे तो उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित एक छोटा सा गांव है, पर खूबसूरत इतना है कि इस जगह पर हर कोई आना चाहता है और पूरा गांव दूर-दूर से आए सैलानियों से भरा रहता है। दिल्ली से मानिला पहुंचने के क्रम में मेरा मन कई जगहों पर ठहरा पर तकरीबन आठ-दस घंटे की ड्राइव के बाद मानिला पहुंच गया। शरीर पर थकान हावी थी, पर आसपास का वातावरण ऐसा कि सारी थकान पल भर में ही छूमंतर हो गई। पूरा रास्ता घने जंगलों से होकर गुजरता है, चारो तरफ हिमालय की ऊंची-ऊंची चोटियां दिखाई देती है। इस जगह पर पहुंचने के बाद लगता है कि हिमालय श्रृंखला की त्रिशूल से पंचचुल्ली तक की सभी चोटियां मानों कि स्वागत में खड़ी हों। यह गांव हिमालय का एक बहुत का एक बहुत ही मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है। इस जगह से नंदा देवी की चोटियां बिल्कुल स्पष्ट रूप से दिखाई देता हैं। मानिला को वैसे तो मानिला देवी मंदिर के कारण जाना जाता है, पर अभी इस जगह पर सैलानियों के पहुंचने का सबसे बड़ा कारण यहां का मौसम और प्राकृतिक वातावरण है। समुद्र तल से लगभग दो हजार की ऊंचाई पर स्थिति होने के नाते यह जगह हिल स्टेशन सा अनुभव कराती है। मानिला में सूर्योदय और सूर्यास्त को देखना भी काफी रोमांचक होता है। हिमालय की इस श्रृंखला से सूर्योदय और सूर्यास्त को देखने की जो अनुभूति है, वह कभी नहीं भूलने वाली होती है। ऐसा लगता है कि सूर्य की सुनहरी चमक हमारे भीतर कही उतर आयी है और मन प्रफुल्लता से भर उठता है। मानिला एक छोटा गांव है, जहां आप प्रकृति के शांत वातावरण में अपने प्रियजनों के साथ अच्छा समय बिता सकते है। गांव घूम सकते है और ग्रामीणों के साथ बातचीत करके स्थानीय संस्कृति के बारे में भी काफी कुछ जान सकते है। गांव के आसपास कई मंदिर है, जहां आप जा सकते हैं। मानिला में देवदार और चीड़ के पेड़ बहुतायत संख्या में है और पूरी की पूरी घाटी बुरांश के फूलों से किसी दुल्हन की तरह लाल जोड़े में सजी नजर आती है। इस वजह से यहां का प्राकृतिक सौंदर्य और भी निखर जाता है। इस जगह पर सेब, नाशपाती, अखरोट, संतरा, माल्टा, खुबानी की भी अच्छी पैदावार होती है। कहीं-कहीं पर आम, पपीते और केले के पेड़ भी दिख जाते है। भिकियासैंण का पैदल मार्ग मानिला से महज 13 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां पहुंचकर आप संगम देख सकते हैं। यह एक सुंदर गांव होने के साथ-साथ कुमाऊं के इतिहास का गवाह भी है। ऐतिहासिक और धार्मिक से भी मानिला क्षेत्र का बहुत महत्व है। ऐसा बताया जाता है कि यह कभी कत्यूरी राजाओं का गढ़ था। इस जगह पर मां मानिला देवी के दो मंदिर है। एक का नाम मल्ला मानिला मंदिर है, दूसरे का तल्ला मानिला मंदिर। कुमाउनी भाषा में मल्ला का अर्थ ऊपर होता है और तल्ला का नीचे।
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