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मंगल टाईपिंग (INDIANA)

created Jun 24th 2022, 03:37 by gg


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प्रकाशक ढूंढने की जो प्रक्रिया है, वह मुझको हमेशा परेशान करती रही है। किसी प्रकाशन ने कभी मुझसे कहा नहीं  कि वह मेरा कोई कविता संग्रह छापना चाहेगा। यद्यपि यह पृष्ठभूमि थी कि मैं तारसप्तक के कवियों में था। कुछ मैं अपने स्वभाव से भी चीजें टालता रहता हूं। कुछ यह भी कि मैंने कविताएं लिखीं कम। मेरा मन एक तरह का खालीपन चाहता है कविता लिखने के लिए। मुझे वह अपना निजी करोबार लगता है, कि बिल्कुल अपरिचितों के बीच में कविता लिख सकता हूं, ट्रेन में बैठकर या भीड़-भाड़ में, या फिर बिल्कुल एकांत चाहिए। अक्सर ये दोनों चीजें बहुत सुलभ नहीं होती। इसलिए होता यह है कि कविताएं कम ही लिखी जाती हैं। कवि के रूप में मुझको जितनी पहल करनी चाहिए थी, वह मैंने नहीं की। जितना मैंने आलोचनात्मक लेखन किया, उसका सौवां हिस्सा भी कविता लेखन का नहीं है। कहीं शायद यह भाव रहा मन में कि जो कविता लिख रहा हूं, क्या वह इस लायक है कि उसके ऊपर और ज्यादा ध्यान दिया जाे ठीक उस दौर में ही मैं राजनीतिक उलझाव में पड़ा। मार्क्सवादी बना, कम्युनिस्ट हुआ और कम्युनिस्ट हुआ और कम्युनिस्ट पार्टी के हेडकवाटर में काम करता था, पार्टी के साप्ताहिक पत्र लेखयुद्ध में, तो उन दिनो मैंने एक कविता लिखी, विजयादशमी। आजादी के पहले। उन दिनों जब दूसरा महायुद्ध खत्म होने वाला था। उसमें था कि हमारे भी सेनानायक तैयार हो रहे हैं। वह कविता लोकयुद्ध में छपी, जो उस वक्त ने कार्यकर्ता-कवि के लिए बड़ा भारी सम्मान था।
पर जब यह कविता छपी, शायद उस वक्त कैफी आजमी की भी कोई कविता छपी थी। तब पार्टी के महासचिव पीसी जोशी ने मुझे कहा था कि कैफी की कविता ज्यादा अच्छी है, तुम्हारी उतनी अच्छी नहीं है। क्या में कवि के रूप में सचमुच वह बात कह सकता हूं, जो कहीं जाने योग्य हो? वह मूल्यवान होगी या नहीं होगी?  शायद यह संशय कहीं पैदा हुआ हो मेरे मन में उस समय।
उपरोक्त गद्यांश में टंकण सम्बधीं जो भी गलती हुई हो कृपया मुझे क्षमा कीजिए।

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