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DURGA TYPING CENTER (कोर्ट कोर्ट)

created May 24th 2022, 11:43 by royyy


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वाद का उपशमन- जहां एक या एक से अधिक वादी हैं और उनमें से किसी की मृत्‍यु हो जाती है और जहां वाद फाइल करने का अधिकार उत्‍तरजीवी वादी या वादियों को प्रतिवादी या प्रतिवादियों के विरुद्ध बचा रहता है, वहां न्‍यायालय अभिलेख में उस भाग की एक प्रविष्टि कराएगा और वाद उत्‍तरजीवी वादी या वादियों द्वारा प्रतिवादी या प्रतिवादियों के विरुद्ध आगे चलेगा।
वैवाहिक मामले का अंतरण- पति द्वारा विवाह-विच्‍छेद के लिए फाइल किए गए वाद को पत्‍नी के निवास वाले जिले में अंतरण के लिए आवेदन पत्‍नी अपने माता-पिता के साथ दूसरे जिले में निवास कर रही है और उसकी हैसियत उस जिला न्‍यायालय में जाकर मामले की पैरवी करने की नहीं है जिस जिले में पति निवास करता है और जहां के जिला न्‍यायालय में विवाह-विच्‍छेद का मामला फाइल किया है, मामले को उस जिला न्‍यायालय को अंतरित किया जाना उचित है, जहां पत्‍नी अपने माता-पिता के साथ निवास कर रही है।  
    उच्‍च  न्‍यायालयों से यह अपेक्षित है कि वे संविधान के अनुच्‍छेद 226 के अधीन अधिकरण के आदेश को चुनौती दिए जाने के प्रयोजनार्थ फाइल की गई याचिकाओं पर विचार करके सशस्‍त्र  बल अधिकरण अधिनियम की धारा 30 और 31 के अधीन सृजित तंत्र को अनदेखा करें।
    संक्षेप में मामले के तथ्‍य ये हैं कि याची तारीख 1 जनवरी, 2001 से 28 फरवरी, 2004 तक जम्‍मू में मिलिट्री फार्म के कमान अधिकारी के पद पर तैनात था और वह तोपखाना ब्रिगेड मुख्‍यालय 16 कार्प के साथ संलग्‍न था। उसका जम्‍मू स्थित मिलिट्री फार्म के कमान अधिकारी के रूप में सामान्‍य  सेना न्‍यायालय द्वारा अभिकथित अपराधों के बाबत् विचारण किया गया और उनके साबित पाए जाने पर दोषसिद्ध किया गया। उसको सेवा समाप्ति और तीन वर्ष का कठोर कारावास भुगतने के द्वारा दंडादिष्टि किया गया। तत्‍पश्‍चात् याची ने 2007 के सशस्‍त्र बल अधिकरण अधिनियम की धारा 15 के अधीन अपील फाइल की और सशस्‍त्र बल अधिकरण द्वारा तारीख 1 अक्‍टूबर, 2010 के आदेश द्वारा उसकी जमानत मंजूर कर ली गई। तत्‍पश्‍चात् उसको प्रत्‍यर्थियों द्वारा तारीख 18 फरवरी, 2011 के आदेश द्वारा 1987 के सेना विनियम के पैरा 349 के निबंधनों के अनुसार निलंबन के अधीन रखा गया।

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