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SHREE BAGESHWAR ACADEMY TIKAMGARH (M.P.)CPCT HINDI MATTER Contact- 8103237478

created May 24th 2022, 03:13 by Shreebageshwar Academy


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जल है तो कल है यह मुहावरा हमने कई बार किताबों में एवं अपने बडों से टीवी पर कई बार सुना हैं लेकिन हम कई बार देखते हैं कि सूखे के कारण कई लोग मर गये और पानी के बिना बैचेन हैं हमने कई बार यह भी सुना है कि पानी बचाओं पानी बचाओं लेकिन जाने कितनी बार ब्रश करते समय और कार धोते समय और हाथ धोते समय नल को ऐसे ही खुला छोड दिया। जिसके कारण आज यह मुसीबत अपना विकराल रूप लेकर हमारे सामने जल की कमी के रूप में आई है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि जल ही जीवन है और जल है तो कल हैं जल हमारे जीवन के लिये जरूरी हैं इसके बाबजूद हम कई बार बहुत सारा पानी खराब करते हैं जल की कमी हर साल बढती जा रही हैं और हम यह सोचकर पानी का संरक्षण नहीं करते कि बारिश के मौसम में दोबारा धरती को पानी मिल ही जायेगा। लेकिन ऐसा नही हैं लोग जल के जरूरत को नहीं समझ रहे हैं जिन जगहों पर लोग पानी की कमी से जूझ रहे है वहां के लोग तो इसकी जरूरत को समझ रहे हैं लेकिन जिन जगहों पर इसकी  कोई कमी नहीं हैं वहां लोग बेकार के काम जैसे छत धोना और नालियों में बहाना और कपडे धोमें में अधिक पानी का उपयोग करना और गाडी धोना आदि जैसे काम करके इसे खराब करते हैं और आने वाले सालों में ये मुसीबत और भी विकराल रूप धारण कर लेगी। यदि पानी का अंधा धुंध प्रयोग इसी तरह चलता रहा और हमने जल संरक्षण का कोई समाधान नहीं ढूंढा तो वो दिन दूर नहीं जब हम पानी की एक एक बूंद बूंद के लिए तरसेंगे। इसीलिए यदि हालात इसी प्रकार चलते रहे तो पानी के अभाव से अकाल मौतें और जानवरों की सामूहिक मौतें तथा समाज के लोप हो जाने के हालात भी पैदा हो जायंगे। आज हम दिन प्रतिदिन जल का दुरूपयोग कर रहे हैं जरूरी उपयोग के साथ साथ लोग इसे प्रदूषित भी कर रहे हैं जैसे नदी में अपने कपड़े धोना और घर का कचरा नदी में बहाना तथा कारखानों की गंदगी पानी में बहाना आदि पहले के समय में पानी भरपूर मात्रा में मिलता था। किसी भी प्रकार का प्रदूषित जल नहीं था और यदि होता भी था तो नदियां खुद ही जल को साफ कर लेती थी। लेकिन आज प्रदूषण बढ गया है नदिया बहुत गंदी होने के कारण खुद ही पानी को साफ नहीं कर पा रही हैं हममें से अधिकतर यह समझाते हैं कि हमारे पास तो भरपूर मात्रा में पानी हैं जब मन चाला टैंकर मांगा लेंगे और जब मनचाहा बोरिंग करा लेंगे। मैं कितना भी पानी निकाल लूं इससे किसी को कोई मतलब नहीं जितना मन चाहे पानी निकालूं। इसलिए कि बोरिंग मेरी जमीन पर हैं। अधिकतर लोगों की सोच ही ऐसी हैं हमें ऐसी सोच को बदलना होगा। बारिश के जल को संचित कर उसे बचाना आज हमारी प्रथम जरूरत बन गयी हैं बारिश के पानी को बचाने के लिए छोटे-छोटे तालाब और कुएं आदि को जगह जगह बनवाने चाहिए। अधिक पौधे लगाने चाहिए जिससे अधिक से अधिक बारिश हो सके। दूषित पानी को साफ करने के सरकार को अनेक कदम उठाने चाहिए। जिससे की उस गंधे पानी को साफ कर के उसका उपयोग दोबारा किया जा सके।  

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