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HARI OM CPCT CLASSES HINDI TYPING 14th May 2st Shift 9131107994
created May 23rd 2022, 07:42 by 9131107994
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आज के दौर में लोगो की सोच को विज्ञापन के जरिये बदला जा सकता है इसका नमूना आप चुनाव में देख सकते है। आज हम आपको
विज्ञापन के बहुत से प्रकार के बारे में समझायेंगे जिससे आपको विज्ञापन को समझने में आसानी रहेगी। विज्ञापन एक कला है। विज्ञापन का मूल यह माना जाता है। कि जिस चीज का विज्ञापन किया जा रहा है। उसे लोग पहचान जाएं और उसको अपना लें। कंपनियों के लिए यह लाभकारी है। शुरु शुरु में घंटियां बजाते हुए टोपियां पहनकर या रंग बिरंगे कपडे पहनकर कई लोगों के जरिये गलियों गलियों में विज्ञापन किए जाते थे। इन लोगों जरिये कंपनी अपनी चीजों के बारे में जानकारियां घर घर पहुंचा देते थी। विज्ञापन के विकास के साथ कई चीजों का भी विकास हुआ है। जैसे समाचार पत्र और रेडियो और टेलिविजन का ईजात हुआ। इसी के साथ विज्ञापन ने अपना सलतनत फैलानी शुरु कर दी थी। नगरों में सडकों के किनारे चौराहों और गलियों के सिरों पर विज्ञापन लटकने लगे। समय के साथ बदलते हुए समाचार पत्र और रेडियो तथा सिनेमा के पट अब इनका जरिया बन गए हैं। विज्ञापन सौदागरी व बिक्री बढाने का एक मात्र साधन है। देखा गया है। कि अनेक सौदागर केवल विज्ञापन के बल पर ही अपना माल बेचते हैं। कुल मिलाकर विज्ञापन कला ने आज सौदागरी क्षेत्र में अपनी जरूरी जगह बना ली है और इसलिए ही इस युग को विज्ञापन युग कहा जाने लगा है। विज्ञापन के इस युग में लोगों ने इसका गलत उपयोग करना भी शुरु कर दिया है। विज्ञापन के जरिये उपज का इतना प्रचार किया जाता है कि लोगों के जरिये बिना सोचे समझे उपज का अंधाधुंध प्रयोग किया जा रहा है। हम विज्ञापन के माया जाल में इस प्रकार उलझकर रह गए हैं कि हमें विज्ञापन में दिखाए गए झूठझू सच नजर आते हैं। हमारे घर चमक प्रसाधनों तथा बाकी चीजो से अटे पडे रहते हैं। इन चीजों की हमें कोई जरूरत है भी या नहीं हम सोचते नहीं है। बाजार विलासिता की सामग्री से अटा पडा है और विज्ञापन हमें इस ओर खींचखीं कर ले जा रहे हैं। लुभावने विज्ञापनों की जरिये हमारी सोच को बीमार कर दिया जाता है और हम उनकी ओर खुद को बंधे हुए पाते हैं। मुंह धोने के लिए हजारों तरह के साबुन और फैशवास मिल जायंगे। मुख की कांति को बनाए रखने के लिए हजारों प्रकार की क्रीम। विज्ञापनों के जरिये हमें यह भरोसा दिला दिया जाता है कि यह क्रीम हमें जवान और सुंदर बना देगी। रंग यदि काला है तो वह गोरा हो जाएगा। इन विज्ञापनों में सच है यह देखने के लिए बडे बडे खिलाडियों और चित्रपट कलाकारों को लिया जाता है। हम इन कलाकारों की बातों को सच मानकर अपना पैसा पानी की तरह बहातें हैं लेकिन नतीजा ठन ठन गोपाल है। हमें विज्ञापन देखकर जानकारी जरुर लेनी चाहिए लेकिन विज्ञापनों को देखकर चीजे नहीं लेनी चाहिए।विज्ञापनों में जो दिखाया जाता है वे शत प्रतिशत सही नहीं होता। विज्ञापन हमारी सहायता करते हैं कि बाजार में किस प्रकार की सामग्री आ गई हैं। हमें विज्ञापनों के जरिये चीजों की जानकारियांमिलती हैं। विज्ञापन ग्राहक और कंपनी के बीच कडी का काम करते हैं। ग्राहकोंको अपने उपज की बिक्री करने के लिए विज्ञापनों के जरियेलुभाया जाता है। आज आप कितने ही ऐसे साबुन क्रीम और पाउडरों के विज्ञापनों को देखते होंगेहों गे।
विज्ञापन के बहुत से प्रकार के बारे में समझायेंगे जिससे आपको विज्ञापन को समझने में आसानी रहेगी। विज्ञापन एक कला है। विज्ञापन का मूल यह माना जाता है। कि जिस चीज का विज्ञापन किया जा रहा है। उसे लोग पहचान जाएं और उसको अपना लें। कंपनियों के लिए यह लाभकारी है। शुरु शुरु में घंटियां बजाते हुए टोपियां पहनकर या रंग बिरंगे कपडे पहनकर कई लोगों के जरिये गलियों गलियों में विज्ञापन किए जाते थे। इन लोगों जरिये कंपनी अपनी चीजों के बारे में जानकारियां घर घर पहुंचा देते थी। विज्ञापन के विकास के साथ कई चीजों का भी विकास हुआ है। जैसे समाचार पत्र और रेडियो और टेलिविजन का ईजात हुआ। इसी के साथ विज्ञापन ने अपना सलतनत फैलानी शुरु कर दी थी। नगरों में सडकों के किनारे चौराहों और गलियों के सिरों पर विज्ञापन लटकने लगे। समय के साथ बदलते हुए समाचार पत्र और रेडियो तथा सिनेमा के पट अब इनका जरिया बन गए हैं। विज्ञापन सौदागरी व बिक्री बढाने का एक मात्र साधन है। देखा गया है। कि अनेक सौदागर केवल विज्ञापन के बल पर ही अपना माल बेचते हैं। कुल मिलाकर विज्ञापन कला ने आज सौदागरी क्षेत्र में अपनी जरूरी जगह बना ली है और इसलिए ही इस युग को विज्ञापन युग कहा जाने लगा है। विज्ञापन के इस युग में लोगों ने इसका गलत उपयोग करना भी शुरु कर दिया है। विज्ञापन के जरिये उपज का इतना प्रचार किया जाता है कि लोगों के जरिये बिना सोचे समझे उपज का अंधाधुंध प्रयोग किया जा रहा है। हम विज्ञापन के माया जाल में इस प्रकार उलझकर रह गए हैं कि हमें विज्ञापन में दिखाए गए झूठझू सच नजर आते हैं। हमारे घर चमक प्रसाधनों तथा बाकी चीजो से अटे पडे रहते हैं। इन चीजों की हमें कोई जरूरत है भी या नहीं हम सोचते नहीं है। बाजार विलासिता की सामग्री से अटा पडा है और विज्ञापन हमें इस ओर खींचखीं कर ले जा रहे हैं। लुभावने विज्ञापनों की जरिये हमारी सोच को बीमार कर दिया जाता है और हम उनकी ओर खुद को बंधे हुए पाते हैं। मुंह धोने के लिए हजारों तरह के साबुन और फैशवास मिल जायंगे। मुख की कांति को बनाए रखने के लिए हजारों प्रकार की क्रीम। विज्ञापनों के जरिये हमें यह भरोसा दिला दिया जाता है कि यह क्रीम हमें जवान और सुंदर बना देगी। रंग यदि काला है तो वह गोरा हो जाएगा। इन विज्ञापनों में सच है यह देखने के लिए बडे बडे खिलाडियों और चित्रपट कलाकारों को लिया जाता है। हम इन कलाकारों की बातों को सच मानकर अपना पैसा पानी की तरह बहातें हैं लेकिन नतीजा ठन ठन गोपाल है। हमें विज्ञापन देखकर जानकारी जरुर लेनी चाहिए लेकिन विज्ञापनों को देखकर चीजे नहीं लेनी चाहिए।विज्ञापनों में जो दिखाया जाता है वे शत प्रतिशत सही नहीं होता। विज्ञापन हमारी सहायता करते हैं कि बाजार में किस प्रकार की सामग्री आ गई हैं। हमें विज्ञापनों के जरिये चीजों की जानकारियांमिलती हैं। विज्ञापन ग्राहक और कंपनी के बीच कडी का काम करते हैं। ग्राहकोंको अपने उपज की बिक्री करने के लिए विज्ञापनों के जरियेलुभाया जाता है। आज आप कितने ही ऐसे साबुन क्रीम और पाउडरों के विज्ञापनों को देखते होंगेहों गे।
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