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मंगल टाईपिंग (INDIANA)

created May 20th 2022, 03:12 by gg


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गोरा बोला,“क्यों नहीं! इसके बाद बरसात बीत जाने पर विनय बाबू कहेंगे, तीखी धूप पड़ रही है। देवता को दोष दें भी तो वे कोई सफाई तो दे नहीं सकते। मन का असली भेद तो अन्तर्यामी ही जानते हैं।”
विनय बोला,“क्या बेकार की बकते हो,गोरा?”
आनन्दमयी बोली,“सही तो है बेटा, ऐसा नहीं कहा करते। आदमी का मन कभी ठीक रहता है, कभी नहीं। सब दिन एक समान थोड़े ही होते हैं। इसको लेकर उलझने से और फसाद खड़ा होता है। चल विनू,मेरे कमरे मे चल, तेरे लिए कुछ परोसकर आई हूँ।”
गोरा ने जोर से सिर हिलाकर कहा,“नहीं मां, यह नहीं चलेगा। तुम्हारे कमरे में विनय नहीं खाएगा।”
आनन्दमयी - “वाह रे! क्यों रे, मैंने तुझे तो कभी खाने को नहीं कहा... इधर तेरे पिता भी विकट शुद्धतावादी हो गए हैं, स्वापक छोड़कर कुछ खाते ही नही। विनू मेरा अच्छा लड़का है, तेरी तरह कट्टर नहीं है.. तू उसे जोर-जबरदस्ती बांधकर रखना चाहता है?”
गोरा - “बिल्कुल सही! मैं उसे बांधकर ही रखूगां। जब तक तुम उस खिस्तान नौकरानी लछमिया की छुट्टी नहीं कर देती तब तक तुम्हारे कमरे में खाना नहीं हो सकेगा।”
आनन्दमयी-“अरे, गोरा, ऐसी बात तुझे जुबान पर नहीं लानी चाहिए। बराबर तू उसके हाथ का खाता रहा है, बचपन से उसीने तुझे पाल-पोसकर बड़ा किया है।अभी उस दिन तक उसके द्वारा बनाई चटनी के बिना तुझे खाना नहीं अच्छा लगता था। बचपन में जब तुझे चेचक निकली थी तब लछमिया ने जिस तरह सेवा करके तुझे बचाया, मैं कभी नहीं भूल सकूंगी।”
गोरा-“पेनशन दे दो, जमीन खरीद दो, घर बनवा दो, और जो चाहो कर दो.. लेकिन और उसे रखा नहीं जा सकता, मां!”
आनन्दमयी-“गोरा, तू समझता है, पैसे से ही सब ऋण  चुकाए जा सकते है। वह जमीन चाहती है घर, तुझे नहीं देख पाएगी तो मर जाएगी।”
गोरा-“ तो तुम्हारी मर्जी ... उसे रखे रहो! पर विनू तुम्हारे कमरे में नहीं खाएगा। जो नियम है वह मानना ही होगा, किसी तरह भी उससे इधर-उधर नहीं हुआ जा सकता। मां, इतने बड़े अध्यापक के कुल की हो, तुम जो आचार नहीं निभा पाती यह...।”
शायरी  
मुश्किलों में भाग जाना आसान होता है
हर पहलू जिंदगी का इम्तिहान होता है
डरने वाले को मिलता नहीं कुछ जिंदगी में
लड़ने वालों के कदमों में जहान होता है
कोई भी गलती हो तु छोटा भाई मान के माफ कर दीजिएगा।

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