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ACADEMY FOR STENOGRAPHY, MORENA,DIR- BHADORIYA SIR TYPING MPHC DISTRICT COURT AG-3
created May 19th 2022, 12:28 by mahaveer kirar
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भ्रष्टाचार के विरुद्ध सरकारें चाहे जितना कड़ा रुख अपनाने का संकल्प दोहराएं, पर हकीकत यही है कि इसमें लगातार बढ़ोत्तरी दर्ज हो रही है। अंतर्राष्ट्रीय सर्वेक्षणों में भी भारत में यह समस्या नासूर की तरह दर्ज होती है। हर साल कुछ बढ़ोत्तरी के साथ। इसके पीछे बड़ी वजह राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी बताई जाती है। हर पार्टी चुनाव के वक्त भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाती है, विपक्षी दल सत्ता पक्ष के भ्रष्टाचारों का चिट्ठा खोल कर बैठ जाते हैं। मगर सत्ता में आते ही, वे भी उसी रंग में रंग जाते हैं। वही हर ठेके में कमीशनखोरी का पुराना दस्तूर चलता रहता है। कर्नाटक का ताजा मामला भी उससे अलग नहीं माना जा सकता। वहां के एक ठेकेदार ने आत्महत्या कर ली। मौत से पहले लिखा कि ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री केएस ईश्वरप्पा ठेके में चालीस प्रतिशत कमीशन मांग रहे थे और न देने की वजह से उसका भुगतान लटकाया हुआ था। इसे लेकर स्वाभाविक ही विपक्ष हमलावर हो उठा है। कहा जा रहा है कि संदिग्ध स्थिति में मृत पाए गए ठेकेदार का संबंध सत्तापक्ष से था। मगर ईश्वरप्पा ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि वे मृत ठेकेदार को जानते तक नहीं और उसका उनकी पार्टी से कोई संबंध नहीं था। बताया जा रहा है कि कर्नाटक के कुछ गावों के लोगों ने सड़कें, नाली, फुटपाथ वगैरह बनवाने की मांग की थी, तब मंत्री ने उन सब कामों का ठेका यह कहते हुए दे दिया कि बजट की चिंता करने की कोई जरूरत नहीं। उनके वादे पर संबंधित ठेकेदार ने अपनी तरफ से करीब चार करोड़ रुपए खर्च कर दिए। फिर जब भुगतान की मांग करने लगा, तो मंत्री ने उससे चालीस प्रतिशत कमीशन की मांग की। यह प्रचलित कमीशन से बहुत अधिक था, इसलिए ठेकेदार देने से मना करता रहा। भुगतान न मिल पाने के तनाव में उसने खुदकुशी कर ली। खुदकुशी से पहले लिखे पत्र में सीधे-सीधे अपनी मौत के लिए ईश्वरप्पा को जिम्मेदार ठहराया। हालांकि किसी व्यक्ति की आत्महत्या से पहले लिखे नोट को गंभीर कानूनी साक्ष्य माना जाता है, मगर ईश्वरप्पा का कहना है कि इस तरह किसी के अपराध स्वीकार नहीं होते है।
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