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मंहगाई का असर

created May 18th 2022, 12:19 by GAURAVlogs


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दोस्‍तों नमस्‍कार अर्थव्‍यवस्‍था की लाल बत्‍ती जल चुकी है सरकार अपने कानों में रूई ठूस चुकी हैं। आंखों पर पट्टी बांधे हुए है। लेकिन अर्थव्‍यवस्‍था की  लाल बत्‍ती ने अगर मंहगाई दर का 24 साल पुराना रिकार्ड  भी तोड़ दिया है तो इसके असर अब बैंकों पर पड़ र‍हे है। शेयर बाजार पर पड़ र‍हे है। आम आदमी तो पहले से ही त्रस्‍त था और आंकड़ों से खिलवाड़ करती हुई सरकार  को भी अब सूझ नहीं रहा कि मंहगाई दर को कितना कम करें आंकड़ों के लिहाज से कितना कम कर सकते है वे कर नहीं पायें। 1998 में 15 फीसदी पार थोक मंहगाई दर आज की तारीख में रिपोर्ट आई तो पता चला 15 फीसदी पार कर चुकी है। 2014 में मनमोहन सिंह के कार्यकाल में खुदरा मंहगाई दर 8 फीसदी दर पार की थी। और दो दिन पहले खुदरा मंहगाई दर ने 8 फीसदी पार कर लिया है यानी मोदी सरकार अर्थव्‍यवस्‍था को लेकर अपने सबसे बुरेे काल में जी रही है। लेकिन क्‍या वाकई उसके पास कोई रास्‍ता है क्‍योंकि एलआईसी जैसी कंपनी जो शेयर बाजार में जब जब गई शेयर बाजार में रौनक गई कोई डूबेगा नहीं इसका पैैसा कहीं कहीं तो लग ही जाएगा। और सरकार ने भी अपने सीने पर तमगा भी एलआईसी का ही लगाया। चाहे वो आईडीबीआई बैंक डूबे या कोई भी कंपनी डूबे सरकार एलआईसी का पैसा वहां लगा ही देगी एलआईसी के लिस्टिंग के पहले दिन ही शेयर धारकों को झटका लगा सामान्‍य तौर पर ऐसा होता नहीं होता है लेकिन हुआ है। बैंकों के पास पैसा देने को नही है क्‍या वो पैसा एलआईसी में क्‍यों लगांएगे वो अडानी को पैसा देंगें जो खुद 2 लाख करोड़ कर्ज में डूबे हुए है।  लेकिन गाहे बगाहे उनसे तो पैसा जाएगा वो सरकार के साथ है तो पैसा रोका भी नहीं जाएगा लेकिन एलआईसी से पैसा कैसे आएगा इस शेयर बाजार से पैसा कौन निकालेगा तो बैंकों ने भी ने क्‍या हाथ पीछे खींच लिए है और ये तमाम परिस्थितियां जिस लाल बत्‍ती की दिशा में इशारा कर रही है कहीं वह घबराने वाली स्थिति तो नहीं है क्‍योंकि मंहगाई के दायरे में धीरे-धीरे हर कोई रहा है। बैंक रहे है, शेयर बाजार रहे है सारे सामान रहे है लोगों की जमा पूंजी रही है। और जो निवेेशकों ने अपने पेंशन की रकम लगाई। एलआईसी के आईपीओ को खरीदने में पहले ही दिन उन्‍हें 9 फीसदी का नुकसान हो गया। तो आने वाले वक्‍त की स्थिति उज्‍जवल या अंधेरे में समाई जो भी कहिए लेकिन आज शुरूआज उस मंहगाई दर से जिसने 1998 की मंहगाई का रिकार्ड तोड़ दिया है। बरस दर बरस नहीं महीने दर महीने अगर मंहगाई दर बढ़ने लगे तो यह घबराने वाली बात है। इस तरीके से अगर मंहगाई बढ़ रही है तो इसका मतलब है कि यकीनन सरकार की आंखों पर पट्टी बंधी है। कानों में जूं नहीं रेग रहा है। और उसके पास कोई पालिसी नहीं है। देश की सबसे बड़ी कंपनी एलआईसी के आईपीओ का असफल होना यहीं दर्शाता है।                    

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