Text Practice Mode
ACADEMY FOR STENOGRAPHY, MORENA,DIR- BHADORIYA SIR TYPING MPHC DISTRICT COURT AG-3
created May 18th 2022, 11:55 by mahaveer kirar
0
352 words
3 completed
0
Rating visible after 3 or more votes
00:00
कश्मीर घाटी में एक बार फिर पंडितों को निशाना बनाया जा रहा है। कई सालों से उन्हें घाटी में बसाने के प्रयास चल रहे थे, इसमें कुछ कामयाबी भी मिलने लगी थी, मगर अब इसकी उम्मीद धुंधली पड़ने लगी है। बडगाम के चडूरा तहसील कार्यालय में घुस कर जिस तरह दहशतगर्दों ने एक कश्मीरी पंडित की हत्या कर दी, उससे स्वाभाविक ही वहां के लोगों में रोष बढ़ा है। इससे एक बार फिर पंडितों के घाटी छोड़ने को लेकर चिंता पैदा हो गई है। ताजा घटना की जिम्मेदारी जिस कश्मीर टाइगर्स नामक संगठन ने ली है, वह बिल्कुल जान पड़ता है। यानी अब वहां दहशतगर्दों के नए संगठन बन रहे हैं या पुराने संगठन नए नामों से सक्रिय हो गए हैं। इस घटना से यह भी जाहिर है कि इस संगठन का निशाना खासतौर से कश्मीरी पंडित हैं। हालांकि लंबे समय से वहां सुरक्षाबलों की तैनाती बढ़ी है, खुफिया एजेंसियां सक्रिय रहती हैं और सेना के तलाशी अभियान निरंतर चलते हैं, उसके बावजूद दहशतगर्दी पर नकेल नहीं कसी जा रही, वे नए नामों से सिर उठाने लगे हैं, तो इससे यही रेखांकित होता है कि इस दिशा में नए ढंग से रणनीति बनाने की जरूरत है।बडगाम की ताजा घटना अकेली नहीं है। पिछले साल इसी तरह एक दवा विक्रेता कश्मीरी पंडित की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। उसका परिवार शुरू से घाटी में ही रह रहा था। पिछले महीने भी एक कश्मीरी पंडित की इसी तरह हत्या कर दी गई। पिछले सात सालों में ऐसी कई घटनाएं हो चुकी हैं। इसके पहले कश्मीरी पंडितों की हत्या का सिलसिला रुक गया था और अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के समय विस्थापित पंडितों को दुबारा घाटी में लौटाने और बसाने का अभियान चला था।घाटी के मुसलमान भी चाहते थे कि वे लौट कर अपनी जगह-जमीन पर फिर से कब्जा लें। मगर कुछ सालों से, खासकर जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त होने के बाद जिस तरह की कटुता वहां पैदा हुई है, उसकी प्रतिक्रिया में भी पंडितों की हत्या हो रही है। पिछले दिनों घाटी से पंडितों के पलायन को लेकर एक फिल्म आई तो उस पर देश भर में चर्चा हुई।
saving score / loading statistics ...