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आखिरी प्रयास : उन्‍न‍ति टाईपिंग सेन्‍टर टीकमगढ़ 9171686356 By- गोलू पाल

created May 17th 2022, 02:30 by unnati


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एक समय की बात है, जब एक राज्‍य में एक प्रतापी राजा राज करता था। एक दिन उसके दरबार में एक विदेशी आगंतुक आया और उसने राजा को एक सुंदर पत्‍थर उपहार स्‍वरूप प्रदान किया।
 
राजा वह पत्‍थर देखकर बहुत प्रसन्‍न हुआ, उसने उस पत्‍थर से भगवान विष्‍णु की प्रतिमा का निर्माण कर उसे राज्‍य के मंदिन में स्‍थापित करने का निर्णय लिया और प्रतिमा निर्माण का कार्य राज्‍य के महामंत्री को सौंप दिया।
 
महामंत्री गाँव के सर्वश्रेष्‍ठ मूर्तिकार के पास गया और उसे वह पत्‍थर देते हुए बोला, ''महाराज मंदिर में भगवान विष्‍णु की प्रतिमा स्‍थापित करना चाहते हैं। सात दिवस के भीतर इस पत्‍थर से भगवान विष्‍णु की प्रतिमा तैयार कर राजमहल पहुंचा देना। इसके लिए तुम्‍हें 40 स्‍वर्ण मुद्रायें दी जायेंगी।
 
40 स्‍वर्ण मुद्राओं की बात सुनकर मूर्तिकार खुश हो गया और महामंत्री के जाने के उपरांत प्रतिमा का निर्माण कार्य प्रारंभ करने के उद्देश्‍य से अपने औजार निकाल लिए। अपने औजारों में से उसने एक हथौड़ा लिया और पत्‍थर तोड़ने के लिए उस पर हथौड़े से वार करने लगा। किंतु पत्‍थर जस का तस रहा। मूर्तिकार ने हथौड़े के कई वार पत्‍थर पर किये, किंतु पत्‍थर नहीं टूटा।  
                                                                                  पचास बार प्रयास करने के बाद मूर्तिकार ने अंतिम बार प्रयास करने के उद्देश्‍य से हथौड़ा उठाया, किंतु यह सोचकर हथौड़े पर प्रहार करने के पूर्व ही उसने हाथ खींच लिया कि जब पचास बार वार करने से पत्‍थर नहीं टूटा, तो अब क्‍या टूटेगा।
 
वह पत्‍थर लेकर वापस महामंत्री के पास गया और उसे यह कह वापस कर आया कि इस पत्‍थर को तोड़ना नामुमकिन है। इसलिए इससे भगवान विष्‍णु  की प्रतिमा नहीं बन सकती है
                                        महामंत्री को राजा का आदेश हर स्थिति में पूर्ण करना था। इसलिए उसने भगवान विष्‍णु की प्रतिमा निर्मित करने का कार्य गाँव के एक साधारण से मूर्तिकर को सौंप दिया। पत्‍थर लेकर मूर्तिकार ने महामंत्री के सामने ही उस पर हथौड़े से प्रहार किया और वह पत्‍थर एक बार में ही टूट गया।  
 
 

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