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साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

created May 16th 2022, 02:43 by lucky shrivatri


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हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मुख्‍य दरवाजें पर खालिस्‍तान समर्थक झंडे नजर आना चिंता बढ़ाने वाला है। इस घटना को लेकर अलगाववादी संगठन सिख फॉर जस्टिस पर शक जताया जा रहा है। पंजाब के पड़ोसी राज्‍य हिमाचल में खालिस्‍तान झंडों पर प्रतिबंध से इस संगठन का प्रमुख गुरपतवंत सिंह पन्‍नू बौखलाया हुआ है। उसने 29 मार्च को हिमाचल के मुख्‍यमंत्री को चिठ्ठी लिखकर खालिस्‍तानी झंडे लगाने की धमकी भी दी थी। हाल के दिनों की हरकतों ने इन आशंकाओं को गहरा किया है कि खालिस्‍तान नाम के दिग्‍भ्रमित विचार को फिर हवा देने की कोशिश की जा रही है। पहले पटियाला में खालिस्‍तान समर्थकों और हिन्‍दू संगठनों के बीच हिंसक झड़प और फिर करनाल में हथियारों के साथ बब्‍बर खालसा के चार संदिग्‍ध आतंकियों की गिरफ्तारी नए खतरे के संकेत दे रही है। पंजाब संवेदनशील सरहदी सूबा है। देश ने लंबे समय तक वहां आतंकवाद का दंश झेला है और भारी कीमत चुकाई है। अस्‍सी के दशक में हजारों भारतीय नागरिक पंजाब के आतंकियों की हिंसा का शिकार हुए। लंबी कोशिशों के बाद सूबे में अमन-चैन की बहाली हुई थी। अलगाववादियों की नजरें फिर इस अमन-चैन पर है। पहले लग रहा था कि खालिस्‍तान के नामलेवा ठंडे पड़ चुके है। लेकिन पिछले चार-पांच साल के दौरान अमरीका, ब्रिटेन, कनाडा आदि देशों में ऐसे स्‍वयंभू नेता फिर सक्रिय हुए है। खालिस्‍तानी नेताओं की पौध तैयार करने का काम ब्रिटेन में सबसे ज्‍यादा हुआ है। पाकिस्‍तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ पर तो पहले से आरोप लगता रहा है कि वह पंजाब का माहौल खराब करने की कोशिश में जुटी रहती है। पिछले साल किसान आंदोलन में भी खालिस्‍तान की घुसपैठ के आरोप लगे थे। उसके बाद लुधियाना कि जिला अदालत में हुए बम धमाके ने भी संकेत दिए थे कि अलगाववादी पंजाब का माहौल बिगाड़ना चाहते हैं। अफसोस की बात है कि पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार ने ऐसी कुचेष्‍टोओं को सख्‍ती से कुचलने के लिए अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। इस मुद्दे पर उसे केंद्र सरकार के साथ समन्‍वय के तार मजबूत करने की पहल करनी चाहिए। अलगाववादियों की हरकतों को लेकर कंद्र सरकार को भी विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए। केंद्र सरकार को उन देशों की सरकारों पर दबाव बनाना चाहिए जो एक तरफ भारत से दोस्‍ती का दम भरते हैं और दूसरी तरफ अपनी धरती पर खालिस्‍तान समर्थक हरकतों की छूट देते हैं। ऐसी हरकतों को बढ़ावा देने वाले देशों को कड़ा संदेश देने की जरूरत है।   

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