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created May 8th 2022, 06:15 by Successwithyou


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जो कोई किसी मिथ्‍या दस्‍तावेज या मिथ्‍या इलेक्‍ट्रॉनिक अभिलेख अथवा दस्‍तावेज या इलेक्‍ट्रॉनिक अभिलेख के किसी भाग को इस आशय से रचता है कि लोक या किसी व्‍यक्ति को नुकसान या क्षति कारित की जाये या किसी दावे या हक का समर्थन किया जाये, या यह कारित किया जाये कि कोई व्‍यक्ति संपत्ति अलग करे या कोई अभिव्‍यक्‍त या विवक्षित संविदा करे या इस आश्‍य से रचता है, कि कपट करे, या कपट किया जा सके, वह कूट रचना करता है। कोई किसी ऐसी दस्‍तावेज या इलेक्‍ट्रॉनिक अभिलेख  को जिसके बारे में वह यह जानता या विश्‍वास करने का कारण रखता हो कि वह कूटरचित दस्‍तावेज या इलेक्‍ट्रॉनिक अभिलेख है, कपटपूर्वक या  बेईमानी से असली के रूप  में उपयोग में लाएगा, वह उसी प्रकार दण्डित किया  जाएगा, मानो उसने ऐसी दस्‍तावेज या इलेक्‍ट्रॉनिक अभिलेख, की कूटरचना की हो। इस अपराध को गठित करने के लिए आवश्‍यक है कि कूटरचित दस्‍तावेज को कपटपूर्वक या बेईमानी से असली के रूप में उपयोग में लाया गया हो। भारतीय दण्‍ड विधान की धारा 457 , 380 के अपराध को प्रमाणित करने के लिये आवश्‍यक है कि किसी  व्‍यक्ति के द्वारा सूर्यास्‍त के पश्‍चात् सूर्योदय के पूर्वचोरी करने के आशय से प्रवेश  कर गृह अतिचार करते हुए चोरी करता है तब यह कहा जाता है कि उसके द्वारा इन धाराओं में वर्णित अपराध को किया गया  है। अभियोजन की ओर से  विद्वान अधिवक्‍ता का  तर्क है कि उनकी साक्ष्‍य से अभियोजन  का मामला विधिवत् प्रमाणित होता है। अत: अभियुक्‍त को आरोपित अपराध में दण्डित किया जावे। जबकि अभियक्‍त की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि अभियोजन साक्षियों के कथनों से अभियोजन का  मामला विधिवत. प्रमाणित नही होता है  फरियादी स्‍वत: अपनी मोटर साइकिल के मार्केट  से  चले जाने की बाद बताई गई है। उसके अधिपत्‍य के कमरे से  कोई भी वस्‍तु चोरी होने की बात नहीं बताई  गई है। स्‍वतंत्र साक्ष्‍य की  उपेक्षा की गई है। जप्‍ती की कार्यवाही विधिवत् प्रमाणित नहीं है। कूटरचित नंबर प्‍लेट को जप्‍त नहीं किया गया है। आरोपी के खिलाफ मामला विधिवत् प्रमाणित नहीं होता हैलिहाजा उसे आरोपित अपराध से दोष मुक्‍त किया जावे। उभयपक्ष की ओर किए गए तर्को  के परिप्रेक्ष्‍य में प्रकरण का  पुन: परिशीलन किया गया। जहां तक वाहन की नंबर प्‍लेट की कूटरचना  एवं उसके उपयेाग का प्रश्‍न है,  इस संबंध में फरियादी दीपक कुमार के कथन महत्‍वपूर्ण  है। इस साक्षी ने उपने प्रतिपरीक्षण के पद क्रमांक 6 में व्‍यक्‍त किया है कि मैंने गाड़ी गुमने की शिकायत के बाद जब पहली बार गाड़ी थाने पर देखी तो गाड़ी नंबर लिखा हुआ था।  मेरी गाड़ी का सही नंबर है मेरी गाड़ी के नंबर के साथ कोई हेरफेर नहीं की गई अभी भी मेरी गाड़ी पर यही नंबर अंकित है जिसे मैं वर्तमान में बता रहा हूं।

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