Text Practice Mode
साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा (म0प्र0) सीपीसीटी न्यू बैच प्रारंभ संचालक- लकी श्रीवात्री मो. नं. 9098909565
created Jan 25th 2022, 08:53 by Sai computer typing
3
188 words
16 completed
0
Rating visible after 3 or more votes
00:00
यह आर्थिक युग है। इसमें पदार्थ की अधिक इच्छा के कारण व्यक्ति अशांत रहता है। स्वच्छंद और अनियंत्रित भोगवाद के कारण स्वस्थ समाज का निर्माण नहीं हो पा रहा है। इसके लिए हर मनुष्य को अनुशासित व संस्कारित होना होगा, तभी वह समाज व सृष्टि के लिए उपयोगी होगा और व्यक्ति को संस्कारित करना ही अध्यात्म का काम है। आत्म स्वरूप में परिवर्तन करने का प्रयास ही आत्म स्वरूप को पाना है। स्वस्थ समाज के लिए आत्म जागरण जरूरी है। मनुष्य की मूल प्रकृति निर्दोष, सहज और आनन्द से परिपूर्ण जीवन जीना है, जबकि आज मनुष्य का जीवन यंत्रों और उपकरणों पर निर्भर हो गया है। इसलिए मनुष्य को आवश्यकताओं के अनुकूल ग्रहण करना चाहिए और इससे आगे कोई लालसा नहीं रखनी चाहिए। यही सादगी का जीवन है। सादगी को अपनाए बिना सुख-शांति प्राप्त नहीं की जा सकती। जब तक और अधिक पाने की लालसा बनी रहेगी, तब तक मनुष्य अन्य जीवों का हितैषी नहीं बन सकता। यदि वह सादगी अपनाकर अपनी आवश्यकताओं को समेट लेता है, तो उसके लिए संरक्षक की मूल भूमिका निभाना संभव हो जाता है। इस प्रकार यह प्रयास ही आध्यात्मिक विकास है।
saving score / loading statistics ...