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बंसोड कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इन्‍स्‍टीट्यूुट मेन रोड़ गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा मो.नं. 8982805777

created Jan 25th 2022, 05:44 by sachin bansod


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पुलिस को लगता है कि पुलिस के साथ सार्वजनिक संतोषजनक नहीं है। सामान्‍य तौर पर गवाह एक टालमटोल, उदासीन, असहयोगी और कुछ मामलों में पुलिस जांच के प्रति शत्रुता पूर्ण रवैया भी अपनाते हैं। केवल एक छोटी संख्‍या में लोग स्‍वयं को गवाह के रूप में स्‍वेच्‍छा से आगे आते हैं। जो स्‍वयंसेवक अभियुक्‍तों में या पीडि़त में रुचि रखते हैं। 1071 पुलिस को अवसर धमकी और ताकतों की तुलना में अधिक नहीं होता है और कई बर उन्‍हें अपनी इच्‍छाओं के खिलाफ गवाह भी बनाता है। पुलिस और जनता के बीच कोई न्‍यूनतम या न्‍यूनतम बातचीत नहीं होने पर खाड़ी को और चौड़ा किया जाता है। पुलिस की ओर से निरंतर प्रयासों और धैर्य से सार्वजनिक विश्‍वास अर्जित करना है। 1072 शोर्धकर्ता सुझाव देते है कि जनता से अधिक सहयोग पाने के लिए पुलिस को फीडबैक प्राप्‍त करने के उद्देश्‍य से सार्वजनिक बैठके या संपर्क कार्यक्रम आयोजित करने चाहि ताकि पुलिस अपने और जनता के बीच अविश्‍वास को दूर कर सकते है। जनता के पुलिस के साथ सहयोग करने के कई कारण हैं, कुछ कारणों में पुलिस के साथ शामिल होने का डर है, पुलिस और अदालती प्रक्रियाओं में समय लगता है, आरोपी और अपराधियों के बीच साठगांठ का डर है। शोधकर्ता का सुझाव है कि पुलिस को जनता के प्रति विनम्र सभ्‍य और सम्‍मान जनक होना चाहिए। शोधकर्ता यह भी सुझाव देते हैं कि पुलिस और अदालत की प्रक्रियाओं को सरल बनाया जाना चाहिए ताकि जनता को उत्‍पीड़न का सामना करना पड़े, सदस्‍यों को सार्वजनिक रूप से बुलाया जाना चाहिए, यदि आवश्‍यक हो तो उन्‍हें केवल तभी बुलाया जाना चाहिए यदि आवश्‍यक हो तो उन्‍हें केवल तभी बुलाया जाना चाहिए जब बार-बार नहीं। शोधकर्ता यह भी बताते है कि संदिग्‍धों का पता लगाने के लिए पुलिस को केवल संदिग्‍ध पर कार्रवाई करने बजाय इसे सत्‍यापित करने के बाद विश्‍वसनीय जानकारी पर काम करना चाहिए। यह देखा गया है कि पुलिस ए‍क विशेष पार्टी के लिए पक्षपात दिखाती है, कारण उन पर दबाव के भिन्‍न होते हैं धर्म और जाति और धन की खरीद के लिए चूकिं भ्रष्‍टचार और पक्षपात समानता और निष्‍पक्ष उपचार के सिद्धांतों के कड़ाई से पालन या भय के बिना अपना कर्तव्‍य निभाना चाहिए और पुलिस के पास भी एक मजबूत सतर्कता तंत्र होना चाहिए और विभागीय स्‍तर पर और साथ ही विभिन्‍न अन्‍य मामलों में भी अनुकरणीय कार्रवाई करनी चाहिए। आपराधिक कानून जो उस समय लागू हैं। पुलिस को प्रत्‍येक व्‍यक्ति को स्‍वतंत्रता की एक स्‍वाभाविक और सहज समझ होनी चाहिए इसके बावजूद उसके विश्‍वास या राजनीतिक अनुनय के बिना राष्‍ट्रीय एकीकरण की प्रक्रिया को प्राप्‍त नहीं  किया जा सकता है।  

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