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बंसोड कम्प्यूटर टायपिंग इन्स्टीट्यूट मेन रोड़ गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 मो.नं.8982805777
created Jan 24th 2022, 03:30 by sachin bansod
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बिच्छू स्वभाव का उग्र होता है। वह सदैव दूसरों को नुकसान पहुंचाता है। संत स्वभाव से शांत होता है। वह दूसरों का कल्याण करता है। बरसात का दिन था। एक बिच्छू नाले में तेजी से बेहता जा रहा था। संत ने बिच्छू को नाली में बहता देख। अपने हाथ से पकड़कर बाहर निकाला। बिच्छू ने अपने स्वभाव के कारण संत को डंक मारकर नाले में गिर गया। संत ने बिच्छू को फिर अपने हाथ से निकाला। बिच्छू ने संत को फिर डंक मारा। ऐसा दो-तीन बार और हुआ। पास ही वैद्यराज का घर था। वह संत को देख रहे थे। वैद्यराज दौड़ते हुए आए। उन्होंने बिच्छू को एक डंडे के सहारे दूर फेंक दिया। संत से कहा आप जानते हैं बिच्छू का स्वभाव नुकसान पहुंचाने का होता है। फिर भी आपने उसको अपने हाथ से बचाया। आप ऐसा क्यों कर रहे थे? संत ने कहा वह अपना स्वभाव नहीं बदल सकता तो, मैं अपना स्वभाव कैसे बदल लूं!
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