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साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा (म0प्र0) संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

created Jan 24th 2022, 02:45 by lucky shrivatri


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पिछले दशकों में संचार क्रांति में तेज रफ्तार से परिवर्तन आया है। लगभग सवा सौ-डेढ़ सौ साल पहले टेलीफोन का अविष्‍कार हुआ। आज मोबाइल और इंटरनेट है। इन सब से भी दूर, एक लक्‍कड़ तार होता है। यह मैंने सीमावर्ती जिले में रहते हुए जाना। यह शब्‍द मैंने सूचना लाने वाले मुखविरों से ही सीखा हुआ है। हुआ यूं कि एक बार मैंने अपने मुखबिर को कहा कि यह आदमी पता चला है फलानी ढाणी में आकर शरण लिए हुए हैं, पता कर सकते हो क्‍या? उसने मुझे स्‍थानीय भाषा में जबाव दिया लक्‍कड तार करके पता करते है। मैंने कहा यह लक्‍कड तार क्‍या होता हैं? तब उसने मुझे बताया कि किसी इलाकें में कोई असामान्‍य घटना, संदिग्‍ध व्‍यक्ति पर चल रही चर्चा लक्‍कड तार है। जैसे मान लो किसी ढाणी में कोई नया संदिग्‍ध आदमी देखा गया, धीरे-धीरे आस-पास की ढाणियों में भी यह बात फैल जाती है। फिर पास के कस्‍बा या मार्केट जहां पर ढाणी से लोग समान लेने आते हैं, वह बात मार्केट तक आती है। यही खबर लक्‍कड तार है।इसे ऐसा कहना गलत होगा  कि यह एक अफवाह है। यह एक बहुत महत्‍वपूर्ण सूचना है। यदि जिम्‍मेदार अधिकारी जैसे तहसीलदार, थाना अधिकारी, एसपी, कलेक्‍टर इस पर ध्‍यान दें या संबंधित एजेंसी इस पर ध्‍यान दे तो सूचना विकसित होकर बहुत काम की होती है। इस प्रकार जो मुखबिर होते थे, वे पक्‍का वादा करते थे कि मैं लक्‍कड तार से पता करता हूं कि क्‍या चल रहा है?  फिर आपको बताता हूं। लक्‍कड तार बॉर्डर की ढाणी से चलता हुआ सीमावर्ती जिला मुख्‍यालय तक इन्‍हीं मुखबिरों के मार्फत आता था। मैं जिस समय जैसलमेर में था उस समय जोंगा जीप की बजाय अच्‍छी जीप चलने लग गई थी और इन्‍हीं में बैठकर बॉर्डर के निवासी जिला मुख्‍यालय तक आते थे। सामाजिक धार्मिक कार्यो के लिए इन्‍हीं में मुखबिर भी आते थे। रविवार का दिन तय रखता था कि चाय पानी कराते हुए इन मुखबिरों से खूब बात की जाए। मुखबिर के सामने नहीं उसके जाने के बाद एक रजिस्‍टर में उसकी बातों को सिलसिलेवार लिखता रहता था। मुखबिर के आने से पहले मैं रजिस्‍टर पढ़ भी लेता था, ताकि उससे क्‍या पूछना है पता रहे, पर मुखबिर के सामने लिखा-पढी नहीं करता था, वरना वह खुलकर बातें नहीं करता। इस प्रकार लक्‍क्‍ड तार बहुत काम आता था। इस लक्‍कड़ तार की सहायता से मैंने कई ऐसे अपराधी पकड़े, जो किसी जमाने में पाकिस्‍तान यानी सीमा पार चले गए थे और अब वापस आकर किसी ढाणी में छिपे थे। इसी लक्‍कड तार से मैं फरार पाकिस्‍तानी जासूस को भी पकड पाया, जिसकी गिरफ्तारी अपने आप मे बडी उपलब्धि थी। यह जैसलमेर जिले में एक बहुत लंबी सर्च का नतीजा थी। पूरे एक महीने के अभियान में मैं खुद 10000 किलोमीटर से ज्‍यादा जिप्‍सी से चला और अंत में उसको पकड पाया। हमारे युवा अधिकारी इंटरनेट और तकनीक के उपयोग में बहुत कुशल हैं। साथ ही साथ हमें लक्‍कड़ तार पर भी नजर रखनी होगी। अपराधियों की धरपकड़ के लिए तकनीक के अलावा मानवीय इंटेलिजेंस बहुत जरूरी है। इसलिए मुखबिर, उनको तैयार करना और उनसे बात करना भी जरूरी है।     

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