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बंसोड टायपिंग इन्‍स्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा मो.नं.8982805777 सीपीसीटी न्‍यूू बैंच स्‍टार्ट

created Jan 21st 2022, 10:49 by Vikram Thakre


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18 साल से कम उम्र के बच्‍चों को जुवेनाइल जस्टिस एक्‍ट, 2000 के साथ निपटाया जाता है। इसके अलावा, यह एक और अधिनियम है, जिसे प्रोबेशन ऑफ अॅफिडर्स एक्‍ट, 1856 कहा जाता है, जो 21 वर्ष से कम उम्र के  अपराधियों के कारावास  पर प्रतिबंध लगाता है। किशोर न्‍याय अधिनियम, 2000 का मुख्‍य उद्देश्‍य किशोर और युवा आराधियों के उत्‍पीड़न को रोकना है कानून दो प्रकार के जुवेनाइल से संबंधित है: उपेक्षित जुवेनाइल और डेलीक्‍वेंट जुवेनाइल। धारा 2के तहत परिभाषित एक किशोर वह व्‍यक्ति है जिसने लड़के के मामले में 16 वर्ष की आयु प्राप्‍त नहीं की है और जिसने लड़की के मामले में 18 वर्ष की आयु नहीं की है। एक अपराधी किशोर वह है जो इस देश के किसी भी आपराधिक कानून के तहत कोई अपराध करता है।  
2000 के अधिनिययम की प्रस्‍तावना में कहा गया है कि भारत के संविधान में अनुच्‍छेद 15 के खंड (3), अनुच्‍छेद 39(ई) और (एफ), अनुच्‍छेद 15 सहित 47 सहित प्रवधान हैं, यह सुनिश्चित करने के लिए राज्‍य पर एक प्राथमिक जिम्‍मेदारी है कि मानव की जरूरत बच्‍चे अगले  हैं और उनका मूल मानवाधिकार पूरी तरह से संरक्षित है। यू.एन. ने बच्‍चे के अधिकारों पर कन्‍वेंशन को अपनाया है जो सभी राज्‍यों द्वारा बच्‍चे के सर्वोत्तम हित को हासिल करने के लिए सभी राज्‍यों द्वारा पालन किए जाने वाले मानकों के रूप में निर्धारित किया गया है।
शीला बरसे बनाम भारत संघ, सुप्रीम कोर्ट ने देखा कि यदि बच्‍चा राष्‍ट्रीय संपत्ति है, तो यह राज्‍य का कर्तव्‍य है कि वह अपने व्‍यक्तित्‍व के पूर्ण विकास को सुनिश्चित करने की दृष्टि से बच्‍चे की देखभाल करे। इसीलिए बच्‍चों के साथ काम  करने वाले सभी कानून प्रदान करते हे कि बच्‍चे को जेल में नहीं रखा जाएगा। इसमें कोई संदंह नहीं कि जेल में कैद होने से बच्‍चे के विकास को बौना करने, उसे प्रभावशाली प्रभावों को उजागर करने, उसकी अंतरात्‍मा को सहने और  उसे समाज से अलग करने का प्रभात पड़ेगा। संविधान के अनुच्‍छेद 39(ई) और (एफ) भी बच्‍चों के लिए प्रावधान करते हैं। अनुच्‍छेद 39(ई) यह प्रावधान करता है कि आर्थिक आवश्‍यकता के कारण बच्‍चों की निविदा आयु का दुरूपयोग नहीं किया जाता है और उन्‍हें अपनी आयु और शाक्ति के अनुसार अवतरण में प्रवेश करने के लिए   
मजबूर नहीं किया जाना चाहिए। संविधान का अनुच्‍छेद 39(एफ) राज्‍य को बच्‍चों को स्‍वस्‍थ तरीके से विकास की सुविधा देने और स्‍वतंत्रता और गरिमा की स्थिति में, शोषण के खिलाफ बचपन की रक्षा करने और नैतिक और  भौतिक परित्‍याग के खिलाफ बाध्‍य करता है।  
 

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