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बंसोड कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इन्‍स्‍टीट्यूट छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 मो.नं.8982805777

created Jan 11th 2022, 04:23 by Ashu Soni


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विदेश मामलों की संसदीय समिति द्वारा भारत और अंतर्राष्‍ट्रीय कानून पर एक महत्‍वपूर्ण रिपोर्ट हाल ही में लोकसभा में प्रस्‍तुत की गई थी। अन्‍य बातों के अलावा, रिपोर्ट में चर्चा की गई है कि भारतीय अदालतों ने अंतरराष्‍ट्रीय कानून से कैसे निपटा है। समिति ने पाया कि भारत ‘द्वैतवाद’ के सिद्धांत का पालन करता है, अर्थात, अंतर्राष्‍ट्रीय कानून स्‍वचालित रूप से घरेलू कानूनी व्‍यवस्‍था में शामिल नहीं होता है। भारतीय संविधान के अनुच्‍छेद 253 द्वारा मान्‍यता प्राप्‍त अंतर्राष्‍ट्रीय कानून को नगरपालिका कानून में बदलने के लिए संसद का एक अधिनियम आवश्‍यक है। हालांकि, समिति का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट ने द्वैतवाद के सिद्धांत से हटकर उस प्रथागत अंतरराष्‍ट्रीय कानून (सीआईएल) को पकड़कर अद्वैतवाद की ओर बढ़ा दिया है, जब तक कि घरेलू कानून के विपरीत, भारतीय कानूनी शासन का हिस्‍सा नहीं है, यहां तक कि एक सक्षम कानून के बिना भी। संसद। सीआईएल अंतरराष्‍ट्रीय कानून मानदंडों को संदर्भित करता है जो एक रिवाज से प्राप्‍त होता है जो अंतरराष्‍ट्रीय कानून का औपचारिक स्‍त्रोत है।
भारत वास्‍तव में केवल सीआईएल बल्कि उन संधियों सहित अंतर्राष्‍ट्रीय संधियों को भी न्‍यायिक रूप से शामिल करके अद्वैतवाद की ओर द्वैतवाद के सिद्धांत से दूर चला गया है, जिन पर भारत ने हस्‍ताक्षर नहीं किए हैं। प्रथागत मानदंडों के संबंध में, वेल्‍लोर नागरिक कल्‍याण फोरम बनाम भारत संघ में सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने माना कि सीआईएल जो नगरपालिका कानून के विपरीत नहीं है, उसे भारत के घरेलू कानून में शामिल माना जाएगा। बाद के फैसलों में इस सिद्धांत की पुष्टि की गई है। रिसर्च फाउंडेशन फॉर साइंस बनाम भारत संघ में शीर्ष अदालत ने वेल्‍लोर नागरिक मामले पर भरोसा करते हुए घोषणा की कि एहतियाती सिद्धांत, एक पर्यावरण कानून अवधारणा, सीआईएल का हिस्‍सा है और इस प्रकार भारतीय कानून का हिस्‍सा है। द्वैतवाद से अद्वैतवाद में इस न्‍यायपालिका के नेतृत्‍व वाले संक्रमण के कई पहलुओं को स्‍पष्‍ट  करने की आवश्‍यकता है। सबसे पहले, घरेलू कानूनी व्‍यवस्‍था के हिस्‍से के रूप में सीआईएल को शामिल करने वाली शीर्ष अदालत अन्‍य सामान्‍य कानून देशों के अभ्‍यास  के अनुरूप है। हालाँकि, चिपचिपा हिस्‍सा वह सहजता है जिसके साथ सीआइएल को भारतीय कानून के हिस्‍से के रूप में स्‍वीकार किया जाता है।  

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