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साक्षी कम्प्यूटर गुलाबरा गली न.01 छिंदवाड़ा अनुराग उईके मो0 न0 7489578351 :
created Dec 6th 2021, 02:12 by Anurag uikey
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एक गांव था। वहां केवल 200 ही घर थे। गांव के लोग भले थे। वहां कभी किसी तरह का विवाद नहीं होता था। उस गांव से कभी कोई मामला कोर्ट तक नहीं पहु्ंचा। उसी गांव में रहते थे बेचर भाई वे फिल्में देखने के शौकीन थे। महीने में एक-दो बार वे सुरत जाकर किसी न किसी टॉकीज में फिल्म देख आते। उन दिनों टिकट के लिए पांच आने खर्चे होते थे। मेटिनी शाे देखते और शाम को घर लौट आते। एक दिन वे खुशी-खुशी लक्ष्मी टाॅकीज पहुंच गए। रास्तों पर लगे पोस्टर्स पर नूतन-देवानंद के सुंदर मुखड़े उनके भीतर बस गए। वे टाॅकीज जाकर फिल्म पेइंग गेस्ट देख आए। घर पहुंचते-पहुंचते वे पूरी तरह से नुतनमय हो गए। मन ही मन वे गुनगुनाते रहे। छोड़ दो आंचल, जमाना क्या कहेगा इन अदाओं का जमाना भी है दीवाना जमाना क्या कहेगा। दुसरे दिन बेचर भाई के दोस्त गणपत उनसे मिलने आए। बेचर भाई ने गणपत से बिंदास होकर अपने दिल की बात कह दी। अरे गणपत भाई, मुझे तो यह चंचल बिलकुल भी नहीं भाती। मुझे तो देवजी काका सविता अच्छी लगती थी। पर घर के बुजुर्गों ने मुझे चंचल साैंप दी। सविता नुतन की तरह सुंदर ताे नहीं है, परंतु हमारे बुजुर्ग कई बार कुछ ऐसा कर जाते हैं, जिसका मलाल जिंदगीभर रहता है। नुतन तो मेरे नसीब में नहीं थी, पर सविता तो थी ना! पर क्या बताऊं गणपत भाई, आज भी जब सविता को देखता हूं, तो अपने बुजुर्गों को कोसता हूं। उन दिनों घर-घर में बेमेल जोड़े दिखाई देते थे। पिता अपनी प्यारी बिटिया से यही कहता कि तेरी फिक्र मुझसे ज्यादा कौन करेगा? इस तरह वे वह अपनी बिटिया को गाय समझकर किसी के भी घर बांध देता। बिटिया चाहकर भी कुछ नहीं कह पाती। समाज अनैच्छिक विवाह को महापाप मानने को तैयार नहीं है। लेकिन नई पीढ़ी इस महापान के साथ चलने को तैयार नहीं है। मुझे लगता है कि नई पीढ़ी के पास पुरानी पीढ़ी की तुलना में कई मायनों में अधिक ज्ञान है। यह अधिक सयानी है।
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