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साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा (म0प्र0) सीपीसीटी न्‍यू बैच प्रारंभ संचालक- लकी श्रीवात्री मो. नं. 9098909565

created Nov 30th 2021, 03:41 by lovelesh shrivatri


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जिस प्रकार हमारा जीवन भिन्न विरोधाभासों से पूर्ण है, उसी प्रकार कोई व्‍यापार और संगठन भी इससे अछूता नहीं है। सभी संगठन अक्‍सर प्रतिस्‍पर्धा हितों और दुविधाओं का सामना करते हैं- फिर चाहे इनकी वजह परस्‍पर विरोधी व्‍यक्तिगत और संगठनात्‍मक लक्ष्‍य हों, या गुणवत्‍ता और समय की कमी, लाभप्रदता और सामाजिक-पारिस्थिकीय स्थिरता के बीच का संघर्ष। प्रबंधकों और लीडरों को अक्‍सर स्थि‍रता प्राप्‍त करने और मौजूदा स्थिति से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए उनके बीच एक संतुलन बनाने की आवश्‍यकता होती है, किन्‍तु इसे प्राप्‍त करने के प्रयास में उन्‍हें एक साथ कई विरोधी अवधारणाओं या प्रथाओं का भी सामना करना पड़ता है। उन्‍हें अपनी टीमों और हितधारकों के परस्‍पर विरोधी विचारों और व्‍यक्तियों, विपरीत नेतृत्‍व शैलियों और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं का प्रबंधन करने की आवश्‍यकता है। अपने निजी जीवन में भी हमें अपनी जिम्‍मेदारियों का पालन करते हुए शारीरिक, मानसिक, सामाजिक आध्‍यात्मिक विकास का प्रबंधन करने की आवश्‍यकता होती है। प्राचीन संस्‍कृतियों ने संतुलन और संरेखण की भूमिका तो स्‍वीकारी ही है, सामाजिक प्राकृतिक प्रणालियों में होने वाली विभिन्न अनियमितताओं, उग्रवाद या व्‍यवधानों के बावजूद विषम संतुलन बनाए रखने के तरीकों पर भी गहन विश्‍लेषण किया है। इस संबंध में भारतीय दर्शन संतुलन की अप्राप्‍य धारणाएं निर्धारित नहीं करता है। यह स्‍वीकार करता है। कि सं‍तुलन प्राप्‍त करना एक ऐसी गतिशील प्रक्रिया है, जो अराजकता, कोलाहल और भटकावे को इसमें शामिल करती हैं। यह संतुलन के लिए एक प्रणाली के वांछित और अवांछित- दोनों पहलुओं के बारे में जागरूक होने और स्‍वीकार करने की आवश्‍यकता का सूझाव देती हैं। यह असंतुलन को रोकने के प्रयास पर नहीं, बल्कि संतुलन बहाल करने और उसके नकारात्‍मक पक्षों को प्रबंधित करने के तरीकों पर ध्‍यान केंद्रित करती है। चीनी दर्शन भी यिन यांग के रूप में वास्‍तविकता के विपरीत पहलुओं की पुरक प्रकृति को स्‍वीकार करता हैं। जबकि यांग एकजुटता, स्थिरता शक्ति का प्रतिनिधित्‍व करता है, , यिन तरलता गतिशीलता का प्रतिनिधित्‍व करता है। ये दोनों मिलकर एक सफेद और काला वृत्त आपस में नितांत रूप से जुड़े हुए है। इस वृत्त के सफेद अर्ध-गोलाकार भाग में एक छोटा-सा काला वृत्त है, और इसी प्रकार काले अर्ध-वृत्त भाग में सफेद वृत्त भी मौजूद है। इस दृष्टिकोण के अनुसार, स्‍थायित्‍व गतिशीलता परस्‍पर जुडे पहलू है और अतंत: लचीला संतुलन प्राप्‍त करते है। इस तरह की अवधारणाएं संस्‍थानों के प्रमुखों, लीडर प्रबंधकों को संतुलन परिवर्तन की प्रकृति को समझने में मदद कर सकती हैं। अत: एक लीडर को कार्यस्‍थल पर विरोधाभासी तत्‍वों को परिस्थितियों के अनुकूल बनाने के लिए सुदृढ़, पारदर्शी स्‍पष्‍ट दृष्टिकोण विकसित करना चाहिए, क्‍योंकि यिन और यांग के समान, संतुलन सरेंखण से ही संगठन निरंरत प्रगति कर सकता है।

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