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सॉंई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 सीपीसीटी न्‍यू बैच प्रारंभ संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नं. 9098909565

created Nov 27th 2021, 13:50 by deepaksharma10


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तर्कसंगत संदेह की जांच मुख्‍य रूप से बाहरी संभावना में देखती है, जबकि वास्‍तविक संभावना जांच न्‍यायालय के स्‍वयं की संभाविता का मूल्‍यांकन हैं, लेकिन व्‍यवहार में ये परीक्षण बहुत सारे मामलों में एक-दूसरे से समानता रखते हैं एवं इनका परिणाम एक जैसा ही होता है।  
पूर्वाग्रह के इस क्षेत्र में, वास्‍तविक प्रश्‍न यह नहीं  है कि कोई व्‍यक्ति निष्‍पक्ष था या नहीं। किसी व्‍यक्ति की मानसिक अवस्‍था को साबित करना कठिन है। इसलिए न्‍यायालय इस बात को देखती हैं कि क्‍या इस बात का तर्कसंगत आधार उपलब्‍ध है कि फैसला करने वाला अधिकारी पक्षपातपूर्ण हो सकता था। पूर्वाग्रह के मामलों में किसी फैसले पर पहुंचने में जजों को मानवीय संभावनाओं एवं मानवीय आचरण के सामान्‍य पहलुओं पर विचार करना पड़ता है।  
लेकिन किसी फैसला लेने वाले सुनवाई करने वाले अधिकारी को अयोग्‍य घोषित करने के लिए पूर्वाग्रह की पूरी और स्‍पष्‍ट संभाविता उपलब्‍ध होनी चाहिए। सुनवाई करने वाले अधिकारी को सिर्फ संदेह के आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता। संदेह के बारे में फैसला, एक स्‍वस्‍थ्‍य, तर्कसंगत एवं औसत दृष्टिकोण से लिया जाना चाहिए, कि सिर्फ लोगों, सनकी, मनमौजी एवं अविवेकी लोगों के संदेह के आधार पर।  

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