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सॉंई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 सीपीसीटी न्यू बैच प्रारंभ संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नं. 9098909565
created Nov 27th 2021, 05:34 by lucky shrivatri
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ज्ञानी व्यक्ति समता भाव में रहता है। सांसारिक कष्ट ज्ञानी व्यक्ति को विचलित नहीं कर पाते हैं। जीवन में यदि व्यक्ति के पास ज्ञान नहीं है, तो वह दुख का कारण बनता है। अज्ञानता एवं अविवेक का परिणाम ही दुख है। विचारवान के लिए संसार में कही भी दुख नहीं है। अज्ञानता दुख का मूल कारण है। अज्ञानता के कारण ही जीव कई प्रकार की मोह-माया में फंसकर भटकता रहता है। ज्ञानी महापुरूषों को दुख और क्लेश नहीं सताता है।
संत और गुरूओं की वाणी अज्ञानता का नाशक है। संतों की वाणी जीवों को शांति देती है। चौरासी लाख योनियों में भटकने के बाद मनुष्य को जीवन मिलता है। अत: मनुष्य को चाहिए कि सद्कर्म करके मोक्ष एवं शांति का मार्ग प्रशस्त करे। परमात्मा की भक्ति एवं सेवा से जीव को सदगति प्राप्त हो सकती है। किसी भी प्राणी का अपमान नहीं करना चाहिए। साथ ही अन्याय, अत्याचार और अनीति से बचना चाहिए। संभव हो तो परोपकार करना चाहिए। सत्यंग में अधिक से अधिक समय व्यतीत करना चाहिए। इससे भवसागर आसानी से पार किया जा सकता है।
संत और गुरूओं की वाणी अज्ञानता का नाशक है। संतों की वाणी जीवों को शांति देती है। चौरासी लाख योनियों में भटकने के बाद मनुष्य को जीवन मिलता है। अत: मनुष्य को चाहिए कि सद्कर्म करके मोक्ष एवं शांति का मार्ग प्रशस्त करे। परमात्मा की भक्ति एवं सेवा से जीव को सदगति प्राप्त हो सकती है। किसी भी प्राणी का अपमान नहीं करना चाहिए। साथ ही अन्याय, अत्याचार और अनीति से बचना चाहिए। संभव हो तो परोपकार करना चाहिए। सत्यंग में अधिक से अधिक समय व्यतीत करना चाहिए। इससे भवसागर आसानी से पार किया जा सकता है।
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