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सॉंई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 सीपीसीटी न्‍यू बैच प्रारंभ संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नं. 9098909565

created Nov 26th 2021, 12:33 by deepaksharma10


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माना कि आपका लक्ष्‍य सफलता पाना था और आपने कड़ी मेहनत की, मगर नतीजा विपरीत हो गया। इसे लेकर किसलिए परेशान होना? तकलीफ किसलिए? कभी उत्साह के साथ बढ़ रही चीटियों की कतार को देखिए। उनमें से एक चींटी की राह पर यूं ही उंगली रखकर रास्‍ता रोककर देखिए। वह रूकेगी नहीं। वह उंगली के चारों ओर घूमते हुए रास्‍ता तलाशती है। उसकी राह में कितने ही रोड़े अटकाएं, वह किसी किसी तरह अपनी यात्रा जारी रखेगी। मरकर गिर जाने तक वह अपना उत्‍साह नहीं खोती, ही उम्‍मीद छोड़ती है। पतली-सी घास को जमीन से उखाडकर उसकी जड़ों को गौर से देखिए। कितने उत्‍साह के साथ जमीन के अंदर गहराई में जड़ों को फैलाकर वह धरती में टिकी होती है। छत के ऊपर जरा-सी मिट्टी और थोड़ी नमी मिल जाए तो कोई घस खुद को वहां खड़ा करने की कोशिश करेगी। दो पत्ते पैदा करके सूर्य की ऊर्जा पाने कही कोशिश करेगी। यह प्राणशक्ति ऊबना नहीं जानती। मनुष्‍य के संकीर्ण मन में ही गुस्‍सा, झुंझलाहट और नाउम्‍मीदी पैदा होती है। खुद को पस्‍त होने की इजाजत देने वाला प्राणी इंसान ही है। आपकी इच्‍छा के मुताबिक किसी ने व्‍यवहार नहीं किया। आपकी उम्‍मीद के अनुसार कोई काम नहीं हुआ। सरल शब्‍दों में कहें, तो आपको जो हासिल हुआ है, उसे स्‍वीकार करने में असमर्थ होकर आप मन ही मन नफरत करते हैं, विरोध करते हैं।  

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