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created Nov 26th 2021, 11:16 by Sawan Ivnati


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एक तालाब  था।  उस तालाब में दो बड़ी मछलियां  सहस्‍त्रबुद्धी और सतबुद्धी रहती थीं। उनका एक दोस्‍त मेंढक था जिसका नाम एक बुद्धि था। वो अक्‍सर उस तालाब के किनारे बहुत समय बिताया करते थे। एक बार एक शाम, तालाब के किनारे जब वे मज़े कर  रहे थे, तभी उन्‍होंने मछुआरों को अपनी ओर आते देखा। मछुआरों के पास उनका जाल और टोकरी थी, जिनमें मछलियां भरी हुयी थी। उस तालाब से गुजरते समय, मछुआरों ने देखा कि तालाब में बहुत सी मछलिया हैं वे एक दुसरे  से बोले क्‍यों हम हम कल सुबह यहॉं आकर मछलियां पकड़े? यह तालाब बहुत गहरा नहीं है और बड़ी बड़ी  मछलियों से भरा हुआ है। मेंढक यह सब सुनकर उदास हो गया था और बोलै प्‍यारी मछलियों अब  हमें कुछ योजना बनानी पड़ेगी, कहॉं जाना है या छिपना है। वर्ना ये हमें कल पकड़ लेंगे। मछलियों ने ज्‍यादा परवाह करते हुए कहा, हे मित्र, मछुआरों की इस वार्ता से चिंतित हो। वे नहीं आएंगे। फिर भी अगर वो आये, तो मुझे इस तालाब में बहुत ही गहरे पानी में स्थित एक सुरक्षित जगह पता है। हम वह छुप सकते हैं। इस पर दूसरी मछली भी बोली मैं कुछ मछुआरों की वजह से अपने  पूर्वजों के घर को नहीं छोडूंगी। मै भी गहरे पानी में सुरक्षित स्‍थान पर अपने आप को और अपने परिवार को भी बचा लूंगी लेकिन मेंढक को ये बात समझ नहीं रही थी। उसने कहा, ठीक है आप यही रुकिए, लेकिन मैं अपने परिवार को लेकर तुरंत ही किसी दूसरे तालाब को चला जाता हूँ। योजना अनुसार अगली सुबह, मछुआरे तालाब में आये और जाल डाल कई मछलियों, मेढ़क और केकड़ों को पकड़ लिया। अपने को चालक समझ रही सहस्‍त्रबुद्धि और सतबुद्दी ने बचने के लिए कड़ी कोशिश की, लेकिन उनकी कोई तरकीब काम नहीं आई। जब मछुआरों ने अपने जाल को तालाब के किनारे पर लिया तो वे पहले ही मर चुकी थी। होशियार  मेंढक एकबुद्धी ने, पहले से ही छुप ने के लिए एक अन्‍य तालाब ढूंढ लिया। अपने दोस्‍तों के लिए चिंतित होने के कारण , वह सतह पर आया और मछुआरों को अपने दोस्‍तों को साथ जाते देख,  वह काफी उदास हो गया। उसने अपनी पत्‍नी से कहा, वे बहुत प्रतिभाशाली थे, लेकिन खतरे को भांप नहीं सके।
 
 

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