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बंसोड कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इन्‍स्‍टीट्यूट मेन रोड़ गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 मो.नं.8982805777

created Nov 25th 2021, 11:27 by neetu bhannare


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तमिलनाडु सरकार ने हाल ही में राज्‍य बाल नीति जारी की, जो बच्‍चों की भलाई में सुधार के लिए एक रूपरेखा तैयार करना चाहती है। हालांकि, कार्यकर्ताओं ने संकेत दिया है कि नीति स्‍वयं नागरिक समाज या विशेषज्ञों से कम इनपुट के साथ तैयार की गई है। समाज कल्‍याण और महिला अधिकारिता विभाग द्वारा तैयार किए गए दस्‍तावेज में कई स्‍पष्‍ट चूक हैं। नीति को चार खंडों में विभाजित किया गया है जीवन, उत्‍तरजीविता, स्‍वास्‍थ्‍य और पोषण शिक्षा संरक्षण और भागीदारी। हालांकि यह गर्भवती महिलाओं और नई माताओं के लिए हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता का उल्‍लेख करके स्‍वास्‍थ्‍य के पहलुओं के लिए एक अपेक्षाकृत समग्र दृष्टिकोण अपनाता है, लेकिन इसमें बालिकाओं की कमजोरियों का कोई उल्‍लेख नहीं है। इसी तरह, जब संरक्षण की बात आती है, तो नीति में स्‍कूलों में समितियों के गठन का बेवजह उल्‍लेख होता है। ये पैनल कार्यस्‍थल पर महिलाओं के कार्यस्‍थल पर यौन उत्‍पीड़न अधिनियम के तहत अनिवार्य हैं, जो वयस्‍क महिलाओं की सुरक्षा करता है। बच्‍चों पर केंद्रित दो प्रमुख कानून हैं- किशोर न्‍याय अधिनियम और यौन अपराधों से बच्‍चों का संरक्षण अधिनियम- और दोनों को नीति में संदर्भित नहीं किया गया है। यह विशेष रूप से गंभीर है क्‍योंकि तमिलनाडु में मामलों की उच्‍च पेंडेंसी है और उनमें से केवल एक चौथाई मामलों में दोषसिद्धि में अंत होता है। साथ ही, बच्‍चों के खिलाफ यौन हिंसा केवल स्‍कूलों तक ही सीमित नहीं है, एक तथ्‍य यह है कि नीति पर प्रकाश डाला गया है। नीति सुरक्षित और सम्‍मानजनक ऑनलाइन स्‍थान बनाने की बात करती है, एक महान खोज हालांकि संभवतः अव्‍यावहारिक है। फिर भी यह बच्‍चों को सुरक्षित रूप से इंटरनेट का उपयोग करने और नेविगेट करने के लिए सशक्‍त बनाने की बात नहीं करता है। उसी नोट पर, यह बच्‍चों को उनकी सुरक्षा और सुरक्षा के संबंध में शिक्षित और सशक्‍त बनाने की आवश्‍यकता पर विचार नहीं करता है।  

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