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created Nov 24th 2021, 04:37 by deepaksharma10
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प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में सोमवार से एक नए अध्याय की शुरूआत हो गई। करीब डेढ़ वर्ष के लंबे कोरोनाकाल के बाद श्री महाकालेश्वर की कार्तिक अगहन की सवारियों की श्रृंखला में तीसरी व अगहन की पहली सवारी निकली। परंपरागत मार्ग से निकली इस सवारी में लंबे समय के बाद भक्तों की मौजूदगी एक नया आभास करवा रही थी, क्योंकि पूर्व की सवारियों के दौरान लागू की गई सभी कोरोना पाबंदियां हटा दी गई, साथ ही बाबा महाकाल के दर्शनों की सरल व्यवस्था की राह भी बन गई है। निश्चित ही आने वाले समय में व्यवस्थाओं के इस बदलाव के बाद भक्तों की संख्या में और इजाफा होगा, लेकिन इसके साथ ही कुछ नई चुनौतियां भी बढ़ जाएंगी तो वर्तमान में लचर व्यवस्था से उपज रही दिक्कतों को भी सुलझाने के लिए उज्जैन प्रशासन को नए सिरे से सोचना होगा। दरअसल, हाल के कुछ समय में बाबा महाकाल के मंदिर परिसर में भक्तों से चेन खींचने और धोखाधड़ी की वारदातें हुई हैं। गुजरात से आई एक महिला भक्त के गले से पलक झपकते ही सोने की चेन गायब कर दी गई तो श्रावण माह में भी स्नैचिंग की घटनाएं सीसीटीवी में कैद हुई थीं। इसके अतिरिक्त भक्तों को सुलभ दर्शन के नाम पर ठगने तथा विवाद और मारपीट तक के प्रकरण भी सामने आए हैं। ये सभी घटनाएं जांच में हैं तो कुछ के बाद मंदिर प्रशासन ने नियमों में बदलाव भी किया है। लेकिन भक्तों के साथ होने वाली ज्यादातर घटनाओं में पुलिस हरकत में आई, जबकि पहले ही दिन सीसीटीवी की जांच में स्नैचिंग की घटना का ब्योरा सामने आ गया था। विदेश से आए भक्तों के साथ धक्का-मुक्की और मारपीट तक हो गई, लेकिन पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रही। आखिरकार मंदिर प्रशासन ने कदम बढ़ाकर भक्तों का विश्वास बहाल करने का प्रयास किया, लेकिन ख्याति के अनुरूप व्यवस्थाओं की दरकार आज भी है। अब जब सब कुछ सामान्य होने जा रहा है तो लचरता को दूर करना बेहद आवश्यक हो गया है। यह महज व्यवस्था के विश्वास से जुड़ा मसला नहीं, बल्कि आस्था को अपनी निगरानी पैनी करनी पड़ेगी, ताकि घटनाओं को समय पर ना सिर्फ रोका जा सकें, बल्कि इस तरह का दुस्साहस करने वाले भी समय रहते पुलिस के हाथ आ जाएं।
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