eng
competition

Text Practice Mode

साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा (म0प्र0) संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

created Nov 24th 2021, 03:17 by lovelesh shrivatri


4


Rating

406 words
17 completed
00:00
देश की सबसे पुरानी पार्टी की कार्यशैली को लेकर समय-समय पर खबरें आती रहती हैं। कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता रह-रहकर पार्टी की अंदरूनी बातों को सार्वजनिक करते रहते हैं। पार्टी को नजदीक से जानने वाले राजनीतिक विश्‍लेषक भी अपनी राय सार्वजनिक करते रहते हैं। कांग्रेस के अनेक अग्रिम संगठनों में अध्‍यक्ष पद खाली पड़े होने की खबर भी सामने आई हैं। किसान कांग्रेस, आदिवासी कांग्रेस एवं ओबीसी कांग्रेस के अध्‍यक्ष पद लंबे समय से खाली पड़े हैं। महिला कांग्रेस भी कार्यकारी अध्‍यक्ष के भरोसे चल रही है।  
गुजरात में पिछले 25 साल से कांग्रेस सत्ता से बाहर है। अगले साल वहां भी विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन पिछले चार महीनों से राज्‍यों में पार्टी के पास पूर्णकालिक अध्‍यक्ष है और ही नेता प्रतिपक्ष। दूसरे और राज्‍यों में भी पार्टी के भीतर आपसी खींचतान पर लगाम नहीं लग पा रही है। ऐसे में एक सवाल अक्‍सर उठता है कि देश की सबसे पुरानी पार्टी की ये हालत क्‍यों हो रही है? क्‍या इसलिए कि इतना बड़ा संगठन अब सिर्फ एक परिवार के भरोसे आस लगाकर बैठ गया है? या फिर इसलिए कि लगातार हार की हताशा कांग्रेस को सर्वव्‍यापी बनने से रोक रही है? कारण चाहे जो भी हो लेकिन इस सच्‍चाई से इंकार नहीं किया जा सकता कि बीते कुछ सालों में पार्टी कमजोर होती गई है। उत्तरप्रदेश, बिहार, महाराष्‍ट्र और पश्चिम बंगाल जैसे बड़े राज्‍यों में कांग्रेस चौथे पायदान पर पहुंच गई है तो दिल्‍ली और ओडिशा जैसे राज्‍यों में मुख्‍य मुकाबले से भी बाहर होती जा रही है। पंजाब, राजस्‍थान और छत्तीसगढ़ में सत्ता में होने के बावजूद आपसी कलह पार्टी को कमजोर कर रही है। ऐसे में 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी भाजपा का मुकाबला करने की कैसे सोच सकती है?  
चुनाव में हार-जीत सिक्‍के का एक पहलू है। सिक्‍के का दूसरा पहलू संगठन की ताकत है। पिछले पांच साल में अनेक वरिष्‍ठ नेता पार्टी छोड़कर जा चुके हैं। लेकिन पार्टी ने कभी इस बात पर गंभीरता से मंथन नहीं किया कि इसका कारण क्‍या है। कभी हार के कारणों की समीक्षा होती है। कोई नेता कार्यशैली पर सवाल उठाए तो उसे बागी समझ लिया जाता है। कांग्रेस लोकतांत्रिक पार्टी है, लिहाजा उसे अपने नेताओं की बात सुननी भी चाहिए और उसके अनुरूप कार्यशैली में बदलाव भी करना चाहिए। ये पार्टी के हित में भी होगा और देश के हित में भी। कांग्रेस का समर्थन नहीं करने वाले लोग भी चाहते हैं कि कांग्रेस लोकतांत्रिक तरीके से चले।  

saving score / loading statistics ...