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created Jul 23rd 2021, 12:28 by sachin bansod


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एक बार एक आश्रम में एक शिष्‍य ने अपने गुरु से पूछा गुरु जी, कुछ लोग कहते हैं कि जीवन एक संघर्ष है, कुछ अन्‍य कहते हैं कि जीवन एक खेल है और कुछ जीवन को एक उत्‍सव की संज्ञा देते हैं। इनमें कौन सही है?  
गुरु ने कहा जिन्‍हें गुरु नहीं मिला उनके लिए जीवन एक संघर्ष है, जिन्‍हें गुरु मिल गया उनका जीवन एक खेल है और जो लोग गुरु द्वारा बताये गए मार्ग पर चलने लगते हैं, मात्र वे ही जीवन को एक उत्‍सव का नाम देने का साहस जुटा पाते हैं। इस पर गुरु ने शिष्‍यों के एक कहानी सुनाई-  
एक बार कुछ शिष्‍यों ने अपने गुरु से पूछा, आपको गुरु दक्षिणा में क्‍या चाहिए। गुरु ने कहा मुझे तुमसे गुरु दक्षिणा में एक थैला भर के सूखी पत्तियां चाहिए। शिष्‍यों ने सोचा कि सूखी पत्तियां तो जंगल में जगह जगह बिखरी रहती हैं। आसानी से ले आएंगे। लेकिन जंगल में उन्‍हें मुट्ठी भर सूखी पत्तियां ही मिलीं।  
इसी बीच उन्‍हें वहां से गुजरता एक किसान दिखाई दिया। वे उसके पास पहुंचकर उससे विनम्रतापूर्वक याचना करने लगे कि वह उन्‍हें केवल एक थैला भर सूखी पत्तियां दे दे। अब उस किसान ने उनसे क्षमायाचना करते हुए, उन्‍हें यह बताया कि वह उनकी मदद नहीं कर सकता क्‍योंकि उसने सूखी पत्तियों का ईंधन के रूप में पहले ही उपयोग कर लिया था। इसके बाद वह पास के गांव में जाकर एक व्‍यापारी से थैला भर सूखी पत्तियां देने के लिए प्रार्थना करने लगे। लेकिन व्‍यापारी ने सूखी पत्तियों के दोने बनाकर बेच दिए थे। इसके बाद वह एक महिला के पास गए लेकिन वह महिला भी उन पत्तियों को अलग-अलग करके कई प्रकार की ओषधियां बनाया करती थी। वह निराश होकर खाली हाथ ही आश्रम लौट आए और गुरु से बोले हम आपकी इच्‍छा पूरी नहीं कर पाए। लेकिन तलाश के दौरान हमें पता चला कि सूखी पत्तियां का इस्‍तेमाल कितने कामों में होता है। गुरु जी बोले तुम्‍हारी यह ज्ञान ही मेरी गुरु दक्षिणा है। कहानी सुना रहे गुरुजी ने कहा, इस दुनिया में कोई भी चीज व्‍यर्थ नहीं है। हम चीज का अपना एक महत्‍व और मतलब है।
 

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