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साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

created Jun 7th 2021, 16:06 by Sai computer typing


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समुद्रगुप्‍त को भारत का नेपोलियन कहा जाता है। वह अपनी जिंदगी में कभी भी पराजित नहीं हुआ। उसका विजय अभियान भारत के हर क्षेत्र में कामयाब रहा। प्रथम आर्यावर्त के युद्ध में उसने तीन राजाओं को हराकर अपने विजय अभियान की शुरूआत की। इसके बाद दक्षिणापथ के युद्ध में दक्षिण के बारह राजाओं को पराजित कर उन्‍हें अभयदान दिया। यह उसकी दूरदर्शी निति का ही परिणाम था, वह दक्षिण के भौगोलिक परिस्थितियों को भलीभांति समझता था। आर्यावर्त के द्वितीय युद्ध में उसनें नौ राजाओं को हरा कर उन्‍हें अपने साम्राज्‍य में मिला लिया। बाद में उसने सीमावर्ती राजाओं और कई विदेशी शक्तियों को भी पराजित कर अपनी शक्ति का लोहा मानने पर मजबूर कर दिया। समुद्रगुप्‍त ही गुप्‍त वंश का वास्‍तविक निर्माता था। उसका प्रधान सचिव हरिसेन ने प्रयोग प्रशस्ति की रचना की जिसमें समुद्रगुप्‍त के विजयों के बारे में विस्‍तारपूर्वक वर्णन किया गया है। समुद्रगुप्‍त ने अश्‍वमेघ यज्ञ भी करवाया। वह वीणा बजाने में भी कुशल था। उसके दरबार में बुधघोष जैसे विद्वान आश्रय पाते थे।  
नेपोलियन ने अपने युद्ध कौशल से फ्रांस को विदेशी शत्रुओं से मुक्ति दिलाई। अपने अदम्‍य साहस और वीरता के कारण वह 27 वर्ष की अवस्‍था में फ्रेंच आर्मी ऑफ इटली का सेनापति बनकर सार्डिनिया पर विचय प्राप्‍त करने हेतु गया। अपने युद्ध-कौशल से उसने सार्डिनिया को आत्‍मसर्पण करने पर मजबूर कर दिया। नेपोलियन का अगला विजय अभियान ऑस्ट्रिया पर आक्रमण करके वहां के सम्राट केंपोफोरमियों को सन्धि की अपमानजनक शर्तों को स्‍वीकार करने हेतू बाध्‍य करना था। इसके बाद नेपोलियन ने टोलेंन्टिड की सन्धि पर पोप के हस्‍ताक्षर करवाकर फ्रांस की अधीनता स्‍वीकारने पर मजबूर कर दिया। इसके बाद फ्रांस ने नेपोलियन को इंग्‍लैण्‍ड पर आधिपत्‍य करने हेतु भेजा, किन्‍तु इंग्लिश चैनल की बाधा ने नेपोलियन को पराजय का मुंह दिखाया। नेपोलियन ने मिश्र को विजित करके पूर्वी ऐशिया में स्थित ब्रिटिश उपनिवेशों को भी अपने अधीनस्‍थ करने का निश्‍चय किया। उसने रास्‍ते में माल्‍टा, पिरामिड, सिंकदरिया, नील नदी की सम्‍पूर्ण घाटी पर कब्‍जा कर लिया। अब वह भारत की ओर बढ रहा था लेकिन ब्रिटिश नौसेना की शक्ति के आगे नेपोलियन परास्‍त हो गया।  
बाद में फ्रांस की भूमि पर लौटने पर उसने अपनी राजनीतिक कुशलता से नवीन कन्‍सुलेट सरकार की स्‍थापना कर स्‍वयं को वहां का शासक घोषित कर दिया। शासक बनते ही नेपोलियन ने देश की अर्थ व्‍यवस्‍था, शिक्षा प्रशासनिक, सैन्‍य और न्‍याय प्रणाली में आमूल सुधार किए। धार्मिक स्थिति में  सुधार हेतु सर्वप्रथम नेपोलियन ने पादरियों के भ्रष्‍ट अनैतिक चरित्र को सुधारने, चर्च के विशेषाधिकार को समाप्‍त करने, अंधविश्‍वास की आड़ में जनता को मूर्ख बनाकर लूटने वाले पादरियों की तथा चर्च की संपत्तियों को जप्‍त करने के लिए नवीन संविधान लागू किया। माना जाता है कि 1814 तक नेपोलियन ने सम्राट के पद पर रहते हुए कई महत्‍वपूर्ण सुधार किए।  
 

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