Text Practice Mode
Hindi shorthand dictation Practice Test-2 for more text DM (insta:- mohit_manjhi_)
created May 30th 2021, 05:24 by mohitmanjhi123
0
386 words
1 completed
0
Rating visible after 3 or more votes
00:00
अध्यक्ष महोदय, मैं राष्ट्रपति जी के भाषण पर धन्यवाद के प्रस्ताव का समर्थन करने के लिए खड़ा हुआ हूॅं। किन्तु बहुत बात ऐसी है जो उनके भाषण में नहीं आई हैं। यह बातें आ भी नहीं सकती थी क्योंकि समय का अत्यन्त अभाव था इस संबंध में में भी बहुत कुछ कहना चाहता हूॅं किनतु समय का अभाव मेरे पास भी है, इसलिये मैं सबसे पहले मुख्य बाताें पर ही अपने विचार प्रकट करना चाहूॅंगा।
सबसे पहली बात जो मैं इस सदन के सामने रखना चाहता हूॅं वह देश की रक्षा से संबधित हैा इससे पहले हमारी पड़ोसी देशों से बड़ी-बड़ी लड़ाईयां हो चुकी है इन लड़ाईयों के फलस्वरूप हमारे देश के कई भागों को उन्होंने अपने कब्जे में रखा हुआ है किनतु हमारी सरकार ने उन्हें हटाने के लिये कोई, प्रयत्न नहीं किये है केवल बाते ही बाते चलती रहती है मैं चाहता हूॅं कि इस बारे में सदन की पूरी स्थिति स्पष्ट होनी चाहिए दूसरी बात मॅैं यह कहना चाहता हूॅं कि विदेशों के साथ हमारे सबंध ऐसे हाेने चाहिए जिनसे हमारे देश ऊपर जब कोई हमला करे तो हम नहीं कह सकें कि कौन हमारा दोस्त हैं, कौन हमारा मित्र् है और किसका भरौसा हम नहीं कर सकते है, किन्तु आज तक ऐसा देखा गया है कि जब कभी हमारे देश पर ऐसे संकट की स्थिति आई है तो हमें अपने ही पैरों पर खड़ा रहना पड़ा है। और कोई भी हमारे साथ नहीं आया है जिन देशों को हम मित्र् कहते है उन्हाेंने कुछ ऐसी व्यवसथा कर रखी है जिससे भय लगता है कि ऐसे मित्र् देशों के जहाजी बेड़े भी हमने हिन्द महासागर में बड़ते हुए देखे पहले भी एक देश हमारा घनिष्ट मित्र् था और उसे हम अपना भाई मानते थे, किन्तु बाद में हुई घटनाओं से ऐसा अनुभव हुआ कि राजनीतिक में किसी भी मित्र्ता का समबंध स्वार्थों से अलग नहीं हो सकता है इसलिए मेरा अनुरोध है कि सभी लिहाज वाली बातों को छोड़कर हमें अपनी सुरक्षा की व्यवस्था पर पूरा-पूरा ध्यान रखना।
इसके अतिरिक्त में यह भी कहना चाहता हूॅं कि हमें अपनी नीति को बनाये रखना चाहिए तथा छोटे-बड़े सभी देशों के साथ अपने संबंध मैत्रीपूर्ण रखने चाहिए कभी-कभी देखा गया है। कि इस संबंध मे हमारी सरकार बिल्कुल एकतरफा निर्णय ले लेती है जिससे ऐसे देशों के साथ संबंध कायम रखने में कठिनाई होती है।
सबसे पहली बात जो मैं इस सदन के सामने रखना चाहता हूॅं वह देश की रक्षा से संबधित हैा इससे पहले हमारी पड़ोसी देशों से बड़ी-बड़ी लड़ाईयां हो चुकी है इन लड़ाईयों के फलस्वरूप हमारे देश के कई भागों को उन्होंने अपने कब्जे में रखा हुआ है किनतु हमारी सरकार ने उन्हें हटाने के लिये कोई, प्रयत्न नहीं किये है केवल बाते ही बाते चलती रहती है मैं चाहता हूॅं कि इस बारे में सदन की पूरी स्थिति स्पष्ट होनी चाहिए दूसरी बात मॅैं यह कहना चाहता हूॅं कि विदेशों के साथ हमारे सबंध ऐसे हाेने चाहिए जिनसे हमारे देश ऊपर जब कोई हमला करे तो हम नहीं कह सकें कि कौन हमारा दोस्त हैं, कौन हमारा मित्र् है और किसका भरौसा हम नहीं कर सकते है, किन्तु आज तक ऐसा देखा गया है कि जब कभी हमारे देश पर ऐसे संकट की स्थिति आई है तो हमें अपने ही पैरों पर खड़ा रहना पड़ा है। और कोई भी हमारे साथ नहीं आया है जिन देशों को हम मित्र् कहते है उन्हाेंने कुछ ऐसी व्यवसथा कर रखी है जिससे भय लगता है कि ऐसे मित्र् देशों के जहाजी बेड़े भी हमने हिन्द महासागर में बड़ते हुए देखे पहले भी एक देश हमारा घनिष्ट मित्र् था और उसे हम अपना भाई मानते थे, किन्तु बाद में हुई घटनाओं से ऐसा अनुभव हुआ कि राजनीतिक में किसी भी मित्र्ता का समबंध स्वार्थों से अलग नहीं हो सकता है इसलिए मेरा अनुरोध है कि सभी लिहाज वाली बातों को छोड़कर हमें अपनी सुरक्षा की व्यवस्था पर पूरा-पूरा ध्यान रखना।
इसके अतिरिक्त में यह भी कहना चाहता हूॅं कि हमें अपनी नीति को बनाये रखना चाहिए तथा छोटे-बड़े सभी देशों के साथ अपने संबंध मैत्रीपूर्ण रखने चाहिए कभी-कभी देखा गया है। कि इस संबंध मे हमारी सरकार बिल्कुल एकतरफा निर्णय ले लेती है जिससे ऐसे देशों के साथ संबंध कायम रखने में कठिनाई होती है।
saving score / loading statistics ...