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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा (म0प्र0) संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Apr 10th 2021, 15:02 by Jyotishrivatri
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बहुत पहले की बात है शंकर नाम का एक किसान था। वह किसानी करके और अपने पेड़ो की लकडियां बेच कर अपना गुजारा करता था। एक बार वह लकडियों को बैल गाड़ी में डाल कर बेचने के लिए दूसरे गांव गया। रास्ते में शंकर को उस गांव का एक सेठ मिल गया। सेठ ने शंकर से लकड़ी के लिए पूछा गाड़ी का कितना है शंकर ने बताया सबका 5 रूपए है। सेठ ने कहा ठीक है मैं यह खरीद रहा हूं। इसको तुम मेरे घर पर छोड़ दो। शंकर लकड़ी से भरी बैल गाड़ी लेकर सेठ के घर पहुंच गया। शंकर ने लकडियां सेठ को दी पैसे लिए और अपनी बैल गाड़ी को लेकर आने लगा तो सेठ बोला हमारी गाड़ी की बाल हुई थी। अब यह बैल गाड़ी तुम नहीं ले जा सकते।
शंकर ने कहा ऐसा थोड़ी होता है। सेठ ने कहा तुमने गाड़ी 5 रूपए का वचन दिया है अब तुमको वचन का पालन करना चाहिए। शंकर का सबसे छोटा बेटा होशियार था। उसने सेठ को सबक सिखाने की सोची। वह अगले दिन उसी तरह बैल गाड़ी में लकडिया डाल कर उसी गांव की तरफ जाने लगा। रास्ते में उसको भी वही सेठ मिल गया। सेठ ने सोचा आज फिर एक बकरा आ रहा है। सेठ ने फिर वही बात पूछी गाड़ी का कितना है इस पर शंकर का बेटा बोला केवल दो मुट्ठी सेठ सोचा यह तो कल वाले से भी मुर्ख है दो मुट्ठी में तो 2 आना दबाकर इसको दें दूंगा। उसने घर पर लकडियां छोड़ने को बोला। वह बैलगाड़ी को लेकर सेठ के घर पहुंच गया। घर पहुंचने के बाद उसने सारी लकड़ी सेठ को दे दी। सेठ अंदर से अपने दोनों हाथों की मुट्ठियों में 2 आना दबाकर ले आया। उसने शंकर के बेटे को बोला लो दो मुट्ठी पैसे। शंकर के बेटे ने चाकू निकाला और बोला मैने दो मुट्ठी पैसे नहीं मांगे तुम्हारी हाथ की मुट्ठियां चाहिए और वह उनको काटने के लिए आगे बढ़ा। इस पर सेठ ने मना किया तो शंकर का बेटा बोला तुमने वचन दिया है और व्यापार में वचन बहुत मायने रखती है। उसने सेठ को सारी बाते बताई किस तरह उसने शंकर को ठगा था। इस पर सेठ ने शंकर के बेटे से हाथ जोड़कर माफी मांगी और पहले की बैल गाड़ी और लकडियों का उचित मुल्य दिया। इस तरह शंकर के बेटे ने अपनी होशियारी की वजह से अपने परिवार को ठगी से बचा लिया।
शंकर ने कहा ऐसा थोड़ी होता है। सेठ ने कहा तुमने गाड़ी 5 रूपए का वचन दिया है अब तुमको वचन का पालन करना चाहिए। शंकर का सबसे छोटा बेटा होशियार था। उसने सेठ को सबक सिखाने की सोची। वह अगले दिन उसी तरह बैल गाड़ी में लकडिया डाल कर उसी गांव की तरफ जाने लगा। रास्ते में उसको भी वही सेठ मिल गया। सेठ ने सोचा आज फिर एक बकरा आ रहा है। सेठ ने फिर वही बात पूछी गाड़ी का कितना है इस पर शंकर का बेटा बोला केवल दो मुट्ठी सेठ सोचा यह तो कल वाले से भी मुर्ख है दो मुट्ठी में तो 2 आना दबाकर इसको दें दूंगा। उसने घर पर लकडियां छोड़ने को बोला। वह बैलगाड़ी को लेकर सेठ के घर पहुंच गया। घर पहुंचने के बाद उसने सारी लकड़ी सेठ को दे दी। सेठ अंदर से अपने दोनों हाथों की मुट्ठियों में 2 आना दबाकर ले आया। उसने शंकर के बेटे को बोला लो दो मुट्ठी पैसे। शंकर के बेटे ने चाकू निकाला और बोला मैने दो मुट्ठी पैसे नहीं मांगे तुम्हारी हाथ की मुट्ठियां चाहिए और वह उनको काटने के लिए आगे बढ़ा। इस पर सेठ ने मना किया तो शंकर का बेटा बोला तुमने वचन दिया है और व्यापार में वचन बहुत मायने रखती है। उसने सेठ को सारी बाते बताई किस तरह उसने शंकर को ठगा था। इस पर सेठ ने शंकर के बेटे से हाथ जोड़कर माफी मांगी और पहले की बैल गाड़ी और लकडियों का उचित मुल्य दिया। इस तरह शंकर के बेटे ने अपनी होशियारी की वजह से अपने परिवार को ठगी से बचा लिया।
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