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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤आपकी सफलता हमारा ध्‍येय✤|•༻

created Apr 9th 2021, 04:37 by DeendayalVishwakarma


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नमक के व्‍यापारी के पास एक गधा था। वह व्‍यापारी रोज सुबह अपने गधे पर नमक की बोरियां लादकर आस-पास के गांवों में नमक बेचने ले जाया करता था। आस-पास के गांवों में जाने के लिए उसे कई नाले और छोटी-छोटी नदियां पार करनी पड़ती थीं। एक दिन नदी पार करते समय गधा अचानक पानी में गिर पड़ा इससे गधे के शरीर पर लदा हुआ ढेर सारा नमक पानी में घुल गया अब गधे का बोझ काफी हल्‍का हो गया। उस दिन गधे को अच्‍छा आराम मिल गया।
    दूसरे दिन वह व्‍यापारी रोज की तरह गधे पर नमक की बोरियां लाद कर नमक बेचने निकला। उस दिन पहले नाले को पार करते समय गधा जानबूझकर पानी में बैठ गया। उसकी पीठ का बोझ फिर हल्‍का हो गया व्‍यापारी उस दिन भी गधे को लेकर वापिस लौट आया। पर नमक के व्‍यापारी के ध्‍यान में गया कि आज गधा जानबूझकर पानी में बैठ गया था। उसे गधे पर बहुत गुस्‍सा आया इसलिए डंडे से उसने गधे की खूब पिटाई की। उसने कहा मूर्ख प्राणी तू मुझसे चालाकी करता है। मैं तुझे सबक सिखाए बिना नहीं रहूंगा। अगले दिन व्‍यापारी ने गधे पर रूई के बोरे लादे गधे ने फिर वही तरकीब आजमाने की कोशिश की नाला आते ही वह पानी में बैठ गया। इस बार उल्‍टा ही हुआ रूई के बोरो ने खूब पानी सोखा और गधे की पीठ का बोझ पहले से कई गुना बढ़ गया। पानी से बाहर आने में गधे को खूब मेहनत करनी पड़ी। उस दिन के बाद से गधे ने पानी में बैठने की आदत छोड़ दी।
    शिक्षा-मूर्ख सबक सिखाने से ही काबू में आते हैं।

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