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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤आपकी सफलता हमारा ध्‍येय✤|•༻

created Apr 8th 2021, 11:22 by GuruKhare


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भारत के खिलाफ अप्रत्‍यक्ष युद्ध में चीन कई अपरंपरागत तरीके अपनाता रहा है। साइबर हमले और रणनीतिक युद्ध के बाद उसने सीमा पर बसे निर्जन गांवों को बसाना शुरू करने के बहाने निर्माण कार्य प्रारंभ कर रखा है। इसी श्रृंखला में जल युद्ध भी उसका एक दांव है। हाल ही में चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी पर एक विशाल परियोजना स्‍वीकृत की है, जो कई गुना अधिक बिजली पैदा करने की क्षमता रखती है। इससे चीन की आक्रामकता के खिलाफ खड़े भारत की जमीन हिल सकती है। इस परियोजना में ब्रह्मपुत्र के भारत के प्रवेश से ठीक पहले ही एक बांध बनाने का विचार है। ऐसा लगता है कि इस माध्‍यम से चीन भारत के खिलाफ जल को प्रभावी ढंग से हथियार बनाना चाहता है।
    ब्रह्मपुत्र के चीनी भाग में पहले ही कई छोटे और मध्‍यम आकार के बांध बने हुए हैं। सीमा पर बनी नदी घाटी में किया जाने वाला कोई भी निर्माण कार्य, जल के प्रवाह को दुष्‍प्रभावित करने का अंदेशा पैदा करता है। विश्‍व में अधिकतम ऊंचाई पर बहने वाली ब्रह्मपुत्र नदी, अपनी लंबी यात्रा में बहुत सारी गाद एकत्रित करती है, जो जल विज्ञान और जैव-विविधता की दृष्टि से अद्वितीय कही जा सकती है। चीन की विशाल परियोजना से पोषक गाद का प्रवाह दुष्‍प्रभावित होगा।
    भारत के पास बहुत कम विकल्‍प हैं। फिर भी चीन की आंतरिक कमजोरियों और फिजूलखर्ची का लाभ उठाते हुए उसके विषम युद्ध के प्रभावों को नियंत्रित किया जा सकता है। इस हेतु हमें एक बेहतर दृष्टि और संकल्‍प की आवश्‍यकता होगी।

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