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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Apr 7th 2021, 10:10 by Jyotishrivatri
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एक गांव में यशवर्धन नाम का एक बुद्धिमान विद्वान रहता था। उसकी प्रसिद्धि दूर-दूर तक फैली थी। एक दिन एक शाही दूत उससे मिलने आया। यशवर्धन से मिलकर वह बोला, मैं एक शाही दूत हूं। आपको महाराज ने बुलाया है। कृपया मेरे साथ चलिए। दूत के साथ राजमहल पहुंचने पर राजा ने उसका स्वागत किया। फिर उन्होंने एक साथ भोजन किया भोजन करने के उपरान्त राजा बोले, यशवर्धन, ये स्वर्ण मुद्राओं से भरी थैली स्वीकार करो।
यह हमारी तरफ से तुम्हारे लिए एक छोटा-सा उपहार है। यशवर्धन बोला, लेकिन महाराज आप! आप मुझे यह क्यों दे रहे है? राजा बोले मैंने सुना है कि तुम एक महान विद्वान हो। तुम्हारी बुद्धिमानी के बहुत चर्चे है। इसलिए हम तुम्हारा सम्मान करना चाहते है। यशवर्धन बोला क्षमा कीजिएगा महाराज, परन्तु यदि कल आपसे कोई कहेगा कि मैं एक दुष्ट व्यक्ति हूं तो क्या आप मुझे सजा दे देगे। दूसरों की बात पर भरोसा करने से पहले हमेशा उसे जांच लेना चाहिए। यही हितकर होता है। राजा उसकी बात सुनकर अत्यधिक प्रभावित हुए। इस प्रकार यशवर्धन ने राजा के समक्ष अपनी बुद्धिमानी सिद्ध कर दी।
यह हमारी तरफ से तुम्हारे लिए एक छोटा-सा उपहार है। यशवर्धन बोला, लेकिन महाराज आप! आप मुझे यह क्यों दे रहे है? राजा बोले मैंने सुना है कि तुम एक महान विद्वान हो। तुम्हारी बुद्धिमानी के बहुत चर्चे है। इसलिए हम तुम्हारा सम्मान करना चाहते है। यशवर्धन बोला क्षमा कीजिएगा महाराज, परन्तु यदि कल आपसे कोई कहेगा कि मैं एक दुष्ट व्यक्ति हूं तो क्या आप मुझे सजा दे देगे। दूसरों की बात पर भरोसा करने से पहले हमेशा उसे जांच लेना चाहिए। यही हितकर होता है। राजा उसकी बात सुनकर अत्यधिक प्रभावित हुए। इस प्रकार यशवर्धन ने राजा के समक्ष अपनी बुद्धिमानी सिद्ध कर दी।
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